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प्राचार्य शिक्षकों के लिए क्रिएटिंग ग्रेटनेस कार्यशाला का आयोजन

भिलाई:  प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के  सेक्टर 7 स्थित अंतर्दिशा  भवन के पीस ऑडिटोरियम में “क्रिएटिंग ग्रेटनेस”  कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमे जिले के सभी स्कूल के प्राचार्य एवं शिक्षकों के लिए ट्रेनिंग सेशन कार्यशाला आयोजित किया गया।सर्वप्रथम कार्यशाला का विधिवत शुभारंभ जिला शिक्षा अधिकारी अमित घोष  एवं विभिन्न विद्यालय के प्राचार्य एवं ब्रम्हाकुमारी बहनों ने दीप प्रज्वलन कर किया|

कार्यशाला को संबोधित करते हुए वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका एवं मोटिवेशनल स्पीकर ब्रम्हाकुमारी प्राची दीदी ने क्रिएटिंग ग्रेटनेस का आशय स्पष्ट करते हुए कहा कि आज की वर्तमान आवश्यकता है हमारे व्यक्तित्व से महानता की लहर वातावरण में फैले | हमें किताबी ज्ञान देने के साथ-साथ हमारे आचरण हर कर्म से शिक्षा से शिक्षा देना ही क्रिएटिंग ग्रेटनेस है|

शिक्षा नगरी भिलाई जो  एजुकेशन हब के रूप में भारत में प्रसिद्ध है जिसे हमें और आगे बढ़ाते हुए छूना है आसमान की बुलंदियों को आपने सभी प्राचार्यो एवं शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा की बच्चों को कोरे कागज पर पहला अक्षर लिखना आप सिखाते हैं| बच्चों की समस्याओं को जिसमें पेरेंट्स के साथ-साथ हम टीचर भी बच्चों के कोमल मन को नहीं पढ़ पाते हैं बच्चों का कोमल मन आज नेगेटिविटी में फंस चुका है|

दृढ़ता का संकल्प कर हमें स्वयं परिवर्तन हो छात्रों को परिवर्तन करना है| बच्चे बहुत जल्दी ही दूसरे की शिक्षाओं को देखकर कॉपी करते हैं चाहे अच्छा हो या बुरा| बच्चों का चिड़चिड़ापन बढ़ता जा रहा है| आपने सभी समस्याओं का समाधान देते हुए कहा कि आई एम मास्टर ऑफ माय माइंड बच्चों से ज्यादा मां-बाप को टेंशन है,बच्चों के भविष्य की| कार्यशाला में प्रिंसिपल और टीचर्स को एक्टिविटी, ग्रुप डिस्कशन, वैल्यू गेम्स से ग्रेटनेस महानता कम होने के कारण पर मंथन हुआ|

कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी अमित घोष ने कहा हम सभी चाहें घर में रहें या कार्यक्षेत्र में रहें अपने बच्चों से या अपने घर वालों और अपने काम से तनाव का अनुभव करते ही हैं। तनाव को खत्म करने की इससे अच्छी जगह और कोई नहीं क्योंकि की यंहा शान्ति और पवित्र वातावरण सहज ही परिवर्तन के लिए लाभदायक है । हम सब जब तक तनाव मुक्त नहीं होंगे तब तक हम सहयोगी साथियों को एवं बच्चों को भी तनाव मुक्त नहीं बना सकेंगे|

कार्यशाला के प्रारंभ में सभी प्राचार्य एवं शिक्षकों को मधुरता, खुशी, दया, शांति जैसे गुणों के  स्लोगन बैंड्स हाँथ में बांधे गए | कहा केवल चार व्यक्तियों के सामने स्पष्टीकरण नहीं लेकिन हमारी अंतरात्मा की संतुष्टता ही मेरी ग्रेटनेस है|  हमें जीवन में आध्यात्मिकता को अपनाकर मेडिटेशन से कम करना है| मेरा नाम और पद दूसरों के लिए है मेरे लिए स्वयं मैं क्या हूं वह महत्व रखता है मुझे स्वयं में परिवर्तन लाना है जिसे देख दूसरे परिवर्तन होंगे| विचार और भावनाएं शरीर की चीजें नहीं है मन की विचारों की शुद्धता के लिए कोई भी मेडिसिन नहीं है क्योंकि मन शरीर का स्थूल अंग नहीं है जिसकी दवाई बने|

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