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गांधी जी के जीवन से जुड़ी पांच बातें,कैसे बने भारत के राष्ट्रपिता

भारत की स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायकों में से एक मोहनदास करमचंद गांधी की जयंती आज है। 2 अक्टूबर 1869 को गांधी जी का जन्म हुआ था। देश गांधी जी के योगदान को सदियों तक याद रखेगा। उनके आदर्श, अहिंसा का पाठ, सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा ने देश को अंग्रेजों के सामने एक मजबूत संकल्प के तौर पर प्रदर्शित किया।

गांधी जी को लोग बापू, महात्मा गांधी और देश के राष्ट्रपिता के तौर पर जानते हैं। उनका पूरा जीवन ही हर नागरिक के लिए एक संदेश है, जो सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। गांधी जी का अनुसरण केवल भारतीय ही नहीं, दुनियाभर के कई देशों में किया जाता है। लोग महात्मा गांधी की दी गई सीख को अपने जीवन में अपनाते हैं। लेकिन एक साधारण सा नागरिक मोहनदास गांधी कैसे भारत के राष्ट्रपिता बन गए? महात्मा गांधी, जिन्होंने कभी राजनीति में कोई बड़ा पद हासिल नहीं किया, वह महात्मा गांधी क्यों और कैसे बनें?

गांधीजी की जयंती के मौके पर जानिए उनके भारत के राष्ट्रपिता बनने की कहानी।

गांधी जी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। वह बचपन से पढ़ाई में होनहार छात्र नहीं थे। गणित और भूगोल में कमजोर हुआ करते थे। उनकी लिखावट भी सुंदर नहीं थी। अक्सर उन्हें पढ़ाई और लिखावट के कारण डांट पड़ा करती थीं। हालांकि वह अंग्रेजी में निपुण छात्र थे। अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान होने के कारण उन्हें कई पुरस्कार और छात्रवृत्तियां मिल चुकी थीं। महज साल के थे, तो उनकी शादी पोरबंदर के एक व्यापारी परिवार की बेटी कस्तूरबा से कर दी गई। कस्तूरबा मोहनदास से उम्र में 6 माह बड़ी थीं। उसके बाद साल की उम्र में ही गांधी जी एक बेटे के पिता बन गए। लेकिन उनका यह पुत्र जीविन नहीं रहा था।

बाद में कस्तूरबा और गांधी जी के चार बेटे हुए, जिनके नाम हरिलाल, मनिलाल, रामलाल और देवदास था। गांधी जी शादी के बाद पढ़ने के लिए विदेश चले गए, जहां से वह वकालत की पढ़ाई करके वापस आए।बापू ने स्वदेश लौटकर स्वतंत्रता संगाम की लड़ाई में हिस्सा लिया। इस दौरान कस्तूरबा उनका साथ देती रहीं। 1919 में अंग्रेजों के राॅलेट एक्ट कानून के खिलाफ गांधी जी ने विरोध किया। इस एक्ट में बिना मुकदमा चलाए किसी व्यक्ति को जेल भेजने का प्रावधान था। उसके बाद गांधी जी ने अंग्रेजों के गलत कानून और कार्यशैली के खिलाफ सत्याग्रह की घोषणा की।

गांधीजी के आंदोलन

  •   1906 में महात्मा गांधी ने ट्रासवाल एशियाटिक रजिस्ट्रेशन एक्ट के खिलाफ पहला सत्याग्रह चलाया।
  • गांधी जी ने नमक पर ब्रिटिश हुकूमत के एकाधिकार के खिलाफ 12 मार्च 1930 को नमक सत्याग्रह चलाया, जिसमें वे अहमदाबाद के पास स्थित साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों तक पैदल मार्च निकाला।
  • देश की आजादी के लिए ‘दलित आंदोलन’, ‘असहयोग आंदोलन’, ‘नागरिक अवज्ञा आंदोलन’, ‘दांडी यात्रा’ और ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ शुरू किए।

गांधी जी के आंदोलनों के चलते पूरे देश में वह प्रसिद्ध होने लगे थे। कई गरम और नरम दल के नेता गांधी जी से प्रभावित थे और उनका सम्मान करते थे। इन्हीं में एक थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस। 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो स्टेशन के जरिए पहली बार महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया गया था। गांधी को राष्ट्रपिता कहने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे। उस दौरान नेताजी ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की थी और रेडियो के जरिए महात्मा गांधी से आशीर्वाद मांगा था। अपने भाषण के अंत में सुभाष चंद्र बोस ने कहा, ‘हमारे राष्ट्रपिता, भारत की आजादी की पवित्र लड़ाई में मैम आपके आशीर्वाद और शुभकामनाओं की कामना कर रहा हूं।’

आखिरकार गांधी जी समेत कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का योगदान सफल हुआ और 15 अगस्त 1947 में भारत को आजादी मिल गई। उसके बाद 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में नाथूराम गोडसे ने गांधीजी की हत्या कर दी। अहिंसा का संदेश देने वाले इस महान विभूति के जीवन का अंत हो गया। इसी के साथ नेताजी द्वारा पहली बार राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी देश के हर नागरिक के लिए राष्ट्रपिता बन गए।

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