भिलाई भूखंडों की नीलामी के प्रस्ताव पर भिलाई निगम में जमकर हंगामा हो गया। सत्ता पक्ष- विपक्ष के पार्षदों ने एक दूसरे पर जमकर आरोप लगाए। विपक्ष ने तो सत्ता पक्ष पर शहर बेचने का आरोप लगा दिया।
इस विषय को लेकर सदन एक घंटे तक गर्म रहा। सदन के गर्म रहने की एक वजह टेंडर में गड़बड़ी का मामला भी था। विपक्षीय पार्षदों की आपत्ति के बावजूद सत्ता पक्ष ने सभी प्रस्ताव बहुमत के आधार पर पास करवा लिया।
बता दें कि विभिन्न वार्डों में योजना विशेष की खाली पड़ी व्यवसायिक व आवासीय एवं व्यवसायिक सह आवासीय भूखंडों की नीलामी हेतु अनुमति के प्रस्ताव पर भाजपा पार्षद भोजराज सिन्हा ने आपत्ति जताई। उन्होंने सत्ता पक्ष पर सवाल दागा कि शहर सरकार को अपनी जमीन बेचने की आखिर क्या जरूरत पड़ गई है।
सभापति के निर्देश पर निगम आयुक्त प्रकाश सर्वे ने जवाब में बताया कि राज्य सरकार का निर्देश है इसलिए निगम योजना विशेष के भूखंडों को नीलामी के माध्यम से बेच रहा है। आयुक्त के जवाब से असंतुष्ट भाजपा के विपक्षीय पार्षदों ने विरोध जताया।
महापौर नीरज पाल ने कहा कि योजना विशेष की भूखंडों की नीलामी शासन के निर्देश पर होनी है। अन्य निकायों में भी इसी तरह से योजना विशेष के भूखंडों की नीलामी होती है।
महापौर ने जताया खेद
सामान्य सभा के शुरूआत में भाजपा पार्षदों ने निगम के आयोजन में सभापति गिरवर बंटी साहू की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए सदन में स्पष्टीकरण मांगा। पीयूष मिश्रा ने कहा कि 23 मार्च को निगम द्वारा सेक्टर-5 स्थित शहीद पार्क में शहीद दिवस मनाया गया।
नगर निगम था, लेकर आमंत्रण पत्र में सभापति के नाम का उल्लेख नहीं किया जाना एक तरह से गलत परंपरा का आगाज है। महापौर नीरज पाल स्वीकार किया कि गलती हुई है, इसका उन्हें खेद है। उन्होंने सदन को विश्वास दिलाया कि भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति नहीं होगी।
इन मुद्दों पर गरमाया सदन
योजना के भूखंडों को बेचे जाने को लेकर भिलाई निगम प्रशासन को स्थित स्पष्ट करने को कहा। सत्ता ही विपक्ष इस पर चर्चा करना चाहता था। विपक्ष द्वारा दर्ज आपत्ति के बाद भी सत्ता पक्ष ने बहुमत के आधार पर इस प्रस्ताव को पास करा लिया। इस बात के विरोध में पार्षद भाजपा सभापति की आसंदी के सामने बैठ गए।
विपक्षीय पार्षदों ने सेक्टर-5 में प्रस्तावित वाचनालय का मुद्दा उठाया। बताया गया कि दो करोड़ 40 लाख के इस टेंडर में भ्रष्टाचार किया गया है। निविदा प्रपत्र में अनियमितता इसका प्रमाण है।
पार्षद सेन द्वारा सभापति को संघ का प्रथम वर्ग प्रशिक्षित कार्यकर्ता बताने पर सत्ता पक्ष के लोग भड़क गए। इस बात को लेकर जमकर हंगामा हुआ। हंगामे के दौरान पक्ष की सहमति तथा विपक्ष की आपत्ति के बीच सभी प्रस्ताव पारित कर दिए गए। यहां तक कि अंतिम प्रस्ताव का सदन में वाचन ही नहीं हो सका।