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हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के बिझड़ी पटवार सर्किल में लाखों की जमीन को तत्कालीन तहसीलदार और कानूनगो की मदद से बेटे के नाम कराने के मामले में विजिलेंस ने पटवारी समेत छह लोगों पर केस दर्ज किया है। एफआईआर में पटवारी के अलावा तत्कालीन तहसीलदार, कानूनगो व तीन अन्य लोगों को नामजद किया है। शुरुआती जांच में विजिलेंस को आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य मिले थे। जिसके बाद विजिलेंस ने सरकार से एफआईआर दर्ज करने की मंजूरी मांगी थी। विजिलेंस को ईश्वर दास ने शिकायत दी कि भोरंज के बलवानी निवासी व तत्कालीन पटवारी बिझड़ी जगदीश चंद ने धोखाधड़ी से लाखों की जमीन नाबालिग बेटे के नाम कर दी। इसमें तत्कालीन कानूनगो और तहसीलदार ने भी मदद की। ब्यूरो ने जांच शुरू की तो पता चला कि गांव के ही प्रकाश चंद, लेखराम, भोला राम और कांशीराम के पास खसरा नंबर 1113 में 16 मरला जमीन थी। इस पर रोशन लाल और बंसीलाल किरायेदार थे। 2007 में बंसीलाल ने लैंड सेटलमेंट अधिकारी बिझड़ी को अर्जी दी कि रोशन लाल और पटवारी जगदीश के बेटे राकेश कुमार को खसरा नंबर 1113 मुहाल बिझड़ी में बतौर किरायेदार दाखिल किया जाए।
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तहसीलदार बड़सर सोहन लाल ने 8 फरवरी, 2007 को एप्लीकेशन फील्ड कानूनगो को भेजते हुए एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी। तत्कालीन कानूनगो परसराम ने मौके का मुआयना किया, लेकिन बिना गवाह मुआयने की रिपोर्ट तहसीलदार को भेज दी। इसमें रोशन लाल पुत्र संत राम और राकेश कुमार व बंसीलाल को कब्जाधारक बताया। इसके आधार पर तत्कालीन तहसीलदार ने 8 मार्च को पहली सुनवाई में भूमि मालिकों को मौका दिए बिना व जमाबंदी को नजरअंदाज कर रोशन लाल पुत्र संतराम और राकेश कुमार पुत्र जगदीश चंद निवासी बिझड़ी को बतौर किरायेदार/कब्जाधारक दर्ज कर दिया।
इसके डेढ़ साल बाद म्यूटेशन के आधार पर सभी को जमीन का मालिक दर्ज कर दिया गया। कुछ समय बाद राकेश के नाम के एक मरले को बेच दिया गया। खास बात यह है कि जांच में उप प्रधान ने राकेश नाम के किसी व्यक्ति के गांव के निवासी न होने की बात कही। जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद विजिलेंस अधिकारियों ने तत्कालीन पटवारी जगदीश चंद, तत्कालीन कानूनगो पारस राम और तत्कालीन तहसीलदार सोहन लाल के खिलाफ धोखाधड़ी समेत आईपीसी की कई धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली है।
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