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लघु वनोपज खरीदी, प्रसंस्करण और विपणन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य के लघु वनोपज संग्राहकों को अधिकतम फायदा पहुंचाने के लिए संचालित की जा रही वन धन योजना और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लघु वनोपजों की खरीदी, प्रसंस्करण और विपणन के कार्य में राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 8 उपवर्गों में प्रथम पुरस्कार दिया गया. इसके साथ ही, नवाचार एवं नव-उत्पाद के लिए भी छत्तीसगढ़ को 2 पुरस्कारों से नवाजा गया.भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन संघ मर्यादित, भारत सरकार नई दिल्ली (ट्रायफेड) की ओर से विभिन्न राज्यों के प्रदर्शन के आधार पर इन पुरस्कारों की घोषणा की गई थी. प्रदेश में लघु वनोपजों के संग्रहण का कार्य छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ की तरफ से किया जा रहा है. भारत सरकार के जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा 6 अगस्त को दोपहर 12 बजे वर्चुअल रूप से छत्तीसगढ़ को ये पुरस्कार दिया.

पेश बघेल ने इस उपलब्धि के लिए वन मंत्री मोहम्मद अकबर सहित वन विभाग, छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के अधिकारियों-कर्मचारियों, लघु वनोपजों के संग्रह और प्रसंस्करण के कार्य में लगे स्व-सहायता समूहों, वन समितियों के पदाधिकारियों और सदस्यों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. लघु वनोपजों हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के अंतर्गत साल 2020-21 में नई अधिकतम वनोपजों को योजना में शामिल करने, भारत शासन की राशि से अधिकतम मूल्य की लघु वनोपजों के क्रय, भारत शासन एवं राज्य शासन की राशि से अधिकतम मूल्य की लघु वनोपजों के क्रय, उपलब्ध कराई गई राशि की वर्ष 2020-21 तक अधिकतम उपयोगिता, वन धन योजना के अंतर्गत अधिकतम सर्वेक्षण पूर्ण करने, वन विकास केन्द्र कलस्टरों हेतु अधिकतम प्रशिक्षण देने, मूल्य संवर्धन से अधिकतम उत्पादों के निर्माण, मूल्य संवर्धन कर उत्पादों के अधिकतम विक्रय के लिए प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया.इसके अलावा नव उत्पाद एवं नवाचार वर्ग में महुआ से सेनेटाईजर निर्माण और इमली से इमली चस्का नव उत्पाद तैयार करने के नवाचार के लिए भी छत्तीसगढ़ को पुरस्कृत किया गया.

 

ट्रायफेड द्वारा घोषित किए गए पुरस्कारों के अंतर्गत लघु वनोपजों हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के अंतर्गत वर्ष 2020-21 में अधिकतम नई वनोपजों को योजना में शामिल करने के लिए छत्तीसगढ़ को प्रथम पुरस्कार देने की घोषणा की गई. उल्लेखनीय है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना में छत्तीसगढ़ में 52 प्रकार की लघु वनोपजों को शामिल किया गया. इस वर्ग में द्वितीय पुरस्कार महाराष्ट्र को देने की घोषणा की गई, जहां 21 वनोपजों को इस योजना में शामिल किया गया.भारत शासन की राशि से अधिकतम मूल्य की लघु वनोपज के क्रय वर्ग में छत्तीसगढ़ को प्रथम पुरस्कार दिया गया. छत्तीसगढ़ में इस योजना में 180.51 करोड़ रूपए मूल्य की वनोपजों की खरीदी की गई है. इस वर्ग में 4.51 करोड़ रूपए मूल्य की वनोपजों की खरीदी के लिए आंध्रप्रदेश को द्वितीय पुरस्कार मिला. इसी तरह भारत शासन एवं राज्य शासन की राशि से अधिकतम मूल्य की लघु वनोपजों के क्रय वर्ग में छत्तीसगढ़ को 1173 करोड़ रूपए मूल्य की वनोपजों की खरीदी के लिए प्रथम पुरस्कार तथा 30.32 करोड़ रूपए की खरीदी पर उड़ीसा को द्वितीय पुरस्कार मिला.

उपलब्ध करायी गयी राशि की वर्ष 2020-21 तक अधिकतम उपयोगिता हेतु पुरस्कार वर्ग में छत्तीसगढ़ को 127.09 करोड़ रूपए के उपयोग के लिए प्रथम पुरस्कार तथा 30.32 करोड़ रूपए की राशि के उपयोग के लिए उड़ीसा को द्वितीय पुरस्कार दिया गया.वन धन योजना के अंतर्गत अधिकतम सर्वेक्षण पूर्ण करने के वर्ग में छत्तीसगढ़ को प्रथम पुरस्कार और नागालैंड को द्वितीय पुरस्कार दिया गया. वन धन विकास केन्द्र कलस्टरों हेतु अधिकतम प्रशिक्षण वर्ग में छत्तीसगढ़ को प्रथम और नागालैंड को द्वितीय पुरस्कार दिया गया. मूल्य-संवर्धन से अधिकतम उत्पादों के निर्माण के वर्ग में 121 उत्पाद हेतु छत्तीसगढ़ को प्रथम और महाराष्ट्र को 120 उत्पादों के लिए द्वितीय पुरस्कार दिया गया.

इसी प्रकार मूल्य संवर्धन कर उत्पादों के अधिकतम विक्रय के वर्ग में 4.24 करोड़ रूपए के उत्पादों की विक्रय के लिए छत्तीसगढ़ को प्रथम तथा 1.98 करोड़ रूपए मूल्य के उत्पादों के विक्रय के लिए मणिपुर को द्वितीय पुरस्कार दिया गया. नव उत्पाद एवं नवाचार हेतु दिए जा रहे पुरस्कारों की श्रेणी में महुआ से सेनेटाईजर तैयार करने के लिए छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र को संयुक्त रूप से पुरस्कृत किया गया. इसके अतिरिक्त वनोपज उत्पाद इमली चस्का के नवाचार के लिए छत्तीसगढ़ को पुरस्कृत किया गया है.

 

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ का 44 प्रतिशत से अधिक हिस्सा वनक्षेत्र है और इन वनक्षेत्रों में तथा इसके आसपास रहने वाले वनवासियों के जीवन का एवं आजीविका का मुख्य स्त्रोत वनोपज संग्रहण है. राज्य सरकार द्वारा 7 वनोपजों के स्थान पर 52 वनोपजों के लिये संग्राहकों को सही लाभ दिलाने के लिये समर्थन मूल्य बढ़ाते हुए खरीदी की सुदृढ व्यवस्था की है. इस योजना से प्रदेश के 6 लाख से अधिक वनोपज संग्राहक लाभान्वित हो रहे हैं. छत्तीसगढ़ पिछले दो वर्षों से देश में वनोपज खरीदी में प्रथम स्थान पर है. राज्य में 4,785 महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से इन वनोपजों का क्रय किया जा रहा है. वनोपज की संख्या एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि के फलस्वरूप 13 लाख से अधिक गरीब एवं आदिवासी लघु वनोपज संग्राहकों को 501.70 करोड़ रूपए प्रतिवर्ष की अतिरिक्त आय हो रही है.

 

राज्य में लघु वनोपज के प्राथमिक प्रसंस्करण हेतु 139 वनधन विकास केन्द्रों की स्थापना की गई है. जिससे करीब 17 हजार 424 हितग्राही लाभान्वित हो रहे हैं. स्थापित 139 वनधन विकास केन्द्रों में से 50 वनधन विकास केन्द्रों द्वारा लघु वनोपज का हर्बल उत्पाद के रूप में प्रसंस्करण किया जाता है. अब अमेजन जैसे प्लेटफार्म पर भी छत्तीसगढ़ हर्बल्स के उत्पाद विक्रय हेतु उपलब्ध हैं. वर्ष 2021-22 में “छत्तीसगढ़ हर्बल्स’’ को एक देशव्यापी ब्रांड के रूप में स्थापित करते हुए हर्बल्स उत्पादों का विक्रय पूरे देश में किया जा रहा है तथा इसके फलस्वरूप वर्ष 2021-22 में लगभग 10 करोड रूपए मूल्य के उत्पादों के विक्रय का लक्ष्य रखा गया है. इससे प्रसंस्करण कार्यों में लगे महिला स्व-सहायता समूहों के लगभग 5000 सदस्य लाभान्वित होंगे.

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