मध्य प्रदेश विदिशा ज़िले में लकड़ी तस्करों के साथ मुठभेड़ में वनकर्मियों की गोली से आदिवासी शख्स की मौत हो गई है. जिसके बाद वनकर्मियों पर हत्या का केस दर्ज होने के मुद्दे पर राज्य सरकार और वन विभाग के कर्मचारी आमने सामने आ गए हैं.
दरअसल, विदिशा ज़िले में लटेरी के जंगलों से लकड़ी की चोरी की जा रही थी. इसी को रोकने की कोशिश में मुठभेड़ हुई थी जिसमें वनकर्मियों द्वारा चलाई गई गोली से एक आदिवासी शख्स की मौत हो गई. घटना के बाद वनकर्मियों पर हत्या का मामला दर्ज किया गया जिसके बाद वनकर्मियों ने अपना विरोध जताते हुए राज्य सरकार के पास अपने हथियार जमा करा दिए.
हथियार आत्मरक्षा के लिए दिए हैं किसी की जान लेने के लिए नहीं- राज्य सरकार
वनकर्मियों ने इस पर अपना गुस्सा व्यक्त करते हुए कहा कि, अगर वन विभाग ने उन्हें बंदूके दी है तो किस काम के लिये दी है? जिसका जवाब में राज्य सरकार ने साफ किया कि, वनकर्मी भले ही हथियार जमा करा दें लेकिन उन्हें हथियार आत्मरक्षा के लिये दिए गए हैं. सिर्फ़ हवाई फायर की इजाज़त है. ना कि किसी की जान लेने की.
वनकर्मियों का कहना है कि सरकार की इस एकतरफ़ा करवाई से उनका मनोबल टूटा है. उनका कहना है कि सरकार अपने आदिवासी वोट बैंक को बचाने की चिंता में है क्योंकि घटना के बाद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने उस इलाक़े में बड़ी सभा की है. एमपी रेंजर्स एसोसियेशन, अध्यक्ष, शिशुपाल अहिरवार ने कहा कि, हमको हथियार दिये वन सुरक्षा के लिये लेकिन चलाने की कोई पॉवर नहीं है. कोई प्रोटोकॉल नहीं है. हम उस बंदूक का क्या करेंगे? इससे अच्छा है वो वापस ले लें.
जांच से गुज़रना पड़ेगा- वन मंत्री
वन मंत्री विजय शाह का कहना है कि, गोली चलाने का अधिकार तो किसी को नहीं है. फैसला न्यायालय करता है लेकिन कभी-कभी आत्मरक्षा में हो जाता है. उन्होंने आगे कहा कि, मनुष्य को मारने का अधिकार किसी को नहीं है. हथियार इसलिए दिए गए थे कि लोग जंगल बचायें. हथियार से कोई डायरेक्ट फायर नहीं करना था. अब अगर ऐसा हुआ है जांच से गुज़रना पड़ेगा.