ईडी ने इस मामले में एससी के सामने कुछ दस्तावेज और साक्ष्य भी प्रस्तुत किए हैं, जिसे आयकर विभाग ने अपनी कार्रवाई के दौरान जब्त की थी। इसमें मोबाइल मैसेज का ट्रांसक्रिप्शन और फोन है, जिसे एक सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में पेश किया गया है। इन मोबाइल संदेशों में टुटेजा और आलोक शुक्ला के बारे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
इसमें यह बात सामने आई है कि ईओडब्ल्यू चीफ, एसीबी के प्रमुख, एक वरिष्ठ कानून अधिकारी, एसआईटी के कुछ सदस्य और सीएम के हस्तक्षेप के बाद इस केस को कमजोर किया गया है। इसके जरिए आरोपियों के पक्ष में केस कमजोर किया गया है। साथ ही गवाहों का धमकाया गया है।
सीएम का संदर्भ वर्तमान सीएम भूपेश बघेल से है। सुप्रीम कोर्ट में ईडी के अधिवक्ता कानू अग्रवाल ने अपने हलफनामे में कहा कि इस ट्रांसक्रिप्ट मैसेज से साफ संदेश है कि छत्तीसगढ़ में पावर का दुरुपयोग किया गया है। साक्ष्यों से छेड़छाड़ की गई है, गवाहों को प्रभावित किया गया है और संवैधानिक पदाधिकारियों को शामिल करने से संभावित साजिश को प्रकट करती है।
ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दस्तावेज की सामग्री की संवेदशनशीलता को ध्यान में रखते हुए, ईडी सभी को सीलबंद कवर में रखता है। यह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अधी है कि इन्हें सार्वजनिक डोमेन में रखा जाए या नहीं।
दिलचस्प बात यह है कि राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मुकेश गुप्ता ने भी यह आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था कि करोड़ों के नान घोटाले में मुख्य आरोपी की रक्षा करने और सीएम भूपेश बघेल के प्रतिशोधी आग्रह को पूरा करने के लिए उन्हें सताया जा रहा है। इससे ईडी को एक और मजबूत पक्ष मिला है।
ईडी ने टुटेजा और शुक्ला को हिरासत में लेकर पूछताछ और अग्रिम जमानत को रद्द करने की मांग एससी से की है। सुप्रीम कोर्ट से ईडी ने कहा कि जमानत पर रहने के दौरान आरोपी न्याय के कारण को विफल कर देंगे।
2718 करोड़ रुपये का पीडीएस घोटाला है। इसमें 10 लाख फर्जी राशन कार्ड के जरिए चावल बांटा गया था। अप्रैल 2013 से दिसंबर 2018 तक इसे अंजाम दिया गया था। ईओडब्ल्यू ने इस मामले में जांच शुरू की थी। इसकी जांच के लिए छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल ने 2019 में एक अलग एसआईटी की टीम गठित की थी।
यह घोटाला 2014 में उजागर हुआ था, जब एसीबी ने विभिन्न जगहों पर छापेमारी की थी। उस वक्त कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि यह 36000 करोड़ रुपये का घोटाला है।