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जानें अखंड ज्योत के नियम, लौ से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं

सनातन धर्म में हर धार्मिक कार्य की शुरुआत दीप जलाने से करने की परंपरा रही है और यह मान्यता है कि अग्निदेव को साक्षी मानकर कोई कार्य की शुरू की जाती है तो वह काम हमेशा सफल होता है। नवरात्रि के 9 दिनों में महाशक्ति की पूजा करने वाले श्रद्धालु अखंड ज्योति जलाकर मां दुर्गा की पूजा करते हैं। अखंड ज्योति से अर्थ है, ऐसी लौ जो पूरे 9 दिन ही जलाई जाए। अष्टमी या नवमी के दिन पूजा के समय 24 घंटे अखंड दीपक भी जलाए जाने की परंपरा है।

शुभम करोति कल्याणम्  आरोग्यम धन संपदा
शत्रु बुद्धि विनाशय दीपं ज्योति नमोस्तुते।

मंत्र का अर्थ

दीपक के प्रकाश को नमस्कार, जो शुभ और कल्याण देता है स्वास्थ्य और धन देता है, शत्रु बुद्धि का नाश करता है।

अखंड दीपक को कभी भी सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए। दीपक को जौ, चावल या गेहूं जैसे किसी अनाज का ढेर बना लें और उस पर दीपक रखें।
– पूजा के बीच में दीपक नहीं बुझाना चाहिए। देवताओं की मूर्ति के सामने दीपक लगाना शुभ माना जाता है।
– हमेशा अखंडित दीपक जलाना चाहिए। मिट्टी का दीपक साफ मिट्टी का बना होना चाहिए और कहीं से भी टूटा हुआ नहीं होना चाहिए।
– दीपक से दीपक जलाना भी अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से रोग बढ़ता है, शुभ कार्यों में रुकावटें आती है।
दीपक की लौ को लेकर यह मान्यता है कि ज्वाला को उत्तर दिशा की ओर रखने से स्वास्थ्य और सुख में वृद्धि होती हैय़। लौ को पश्चिम की ओर रखने से दुख और ज्वाला दक्षिण की ओर रखने से दर्द होता है। जिस दीपक की लौ सोने के समान रंग की होती है, वह दीपक आपके जीवन में धन-धान्य की वर्षा लाता है और व्यापार में उन्नति का संदेश देता है।

अखंड ज्योत जलाने के लाभ

 घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है घर के सदस्यों को यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है।  पापों का नाश होता है।  सुख-समृद्धि, आयु, स्वास्थ्य लाभ होता है। गाय के घी का दीपक जलाने से वातावरण कीटाणुओं से मुक्त होता है।  दीपक का धुआं पर्यावरण में मौजूद हानिकारक सूक्ष्म कीटाणुओं को नष्ट कर देता है।

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