बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर किसी व्यक्ति ने उधारी में किसी को पैसा दिया है तो वह वापस पाने का हकदार भी है। उधार दिए पैसे वापस मांगना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं है। हाई कोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में पुलिस द्वारा शैला सिंह पर दर्ज एफआइआर और आरोप पत्र को खारिज कर दिया है।
पेशे से शिक्षक नरेश यादव ने शौला सिंह को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना से संबंधित एक सरकारी योजना पेश की और उसमें राशि निवेश करने की बात कही। शौला सिंह ने तकरीबन 10 लाख रुपये नरेश को दिए। राशि लेने के बाद नरेश यादव ने याचिकाकर्ता की संस्था सहित संबंधित संस्था को उसके हिस्से की राशि नहीं लौटाई। याचिका के अनुसार जब उसने राशि वापस पाने के लिए फोन किया तब फोन उठाना बंद कर दिया। नाराज याचिकाकर्ता ने नरेश को राशि वापस न लौटाने पर परिणाम भुगतने की धमकी दी। इससे परेशान नरेश की पत्नी ने डर के कारण जहर खाकर जान दे दी। नरेश की शिकायत पर पुलिस ने याचिकाकर्ता के खिलाफ भादवि की धारा 306 के तहत अपराध दर्ज किया और आरोप पत्र अदालत में पेश किया।
याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उसने कर्जदार की पत्नी को आत्महत्या के लिए नहीं प्रेरित किया है। शिकायतकर्ता के पास इस संबंध में कोई साक्ष्य भी नहीं है। पुलिस ने झूठी शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया है। याचिकाकर्ता ने एफआइआर और आरोप पत्र को रद करने की मांग की थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राहत देते हुए पुलिस द्वारा दर्ज एफआइआर और विचारण न्यायालय के आदेश को रद कर दिया है।