काबुल
अफगानिस्तान के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े शहर क्रमशः कंधार और हेरात पर तालिबान कब्जा कर चुका है। इन शहरों में जनता में आक्रोश और निराशा साफतौर पर देखी जा सकती है। हेरात और कंधार के निवासियों का कहना है कि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा कि अफगानिस्तान को दो सबसे बड़े शहरों पर तालिबान के हफ्तों लंबे प्रयासों के बाद सरकार इतनी जल्दी घुटने टेक देगी। कंधार की रहने वाली एक महिला ने अल जजीरा से कहा, ‘कोई सरकारी विरोध नहीं था, उन्होंने वाकई हमें बेच दिया।’
महिला ने कहा, ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि कंधार इतनी आसानी से हार जाएगा।’ ऐसा ही कुछ मानना है पश्चिमी शहर हेरात में ‘विद्रोही बल’ के रूप में जाने जाने वाले एक स्थानीय तालिबान विरोधी मिलिशिया के समर्थक का। आरोप लगाते हुए समर्थक ने कहा, ‘सच तो यह है कि इन सभी जगहों को सौंप दिया जा रहा है। देखिएगा, काबुल और मजार-ए-शरीफ अगला टारगेट होगा।’ अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार तालिबान ने छह अगस्त से अब तक अफगानिस्तान की 34 प्रांतीय राजधानियों में से 18 पर कब्जा कर लिया है।
तालिबान के पहली प्रांतीय राजधानी पर कब्जा करने के बाद से राष्ट्रपति अशरफ गनी सहित किसी भी सरकारी अधिकारी ने सार्वजनकि रूप से एक भी प्रांत के खोने की बात स्वीकार नहीं की है। गुरुवार को एक के बाद एक तालिबान ने देश के दूसरे और तीसरे सबसे शहर कंधार और हेरात पर कब्जा कर लिया। कई लोग इसे काबुल सरकार और तालिबान के बीच जारी हिंसक लड़ाई में एक अहम मोड़ मान रहे हैं।
काबुल में रहने वाले हेरात के एक सरकारी कर्मचारी ने कहा, ‘मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि यह कैसे हुआ?’ वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान पर करीबी नजर रखने वाले अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी सेना ने अब आंकलन किया है कि अगले 90 दिनों के भीतर अफगानिस्तान की सरकार का पतन हो सकता है। हालांकि, दूसरे अधिकारी ने दावा किया है कि तालिबान यह काम मात्र 30 दिनों के अंदर कर सकता है।