कोरोना महामारी से छिड़ी जंग को जीतने में लगा है वहीं भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में सैन्य शासन लगातार निरंकुश होता जा रहा है। 1 फरवरी 2021 को जब म्यांमार में सेना प्रमुख द्वारा देश की चुनी गई सरकार का तख्ता पलट किया गया था, तब से लेकर अब तक वहां पर सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। वहीं सैन्य शासन ने हजारों लोगों को हिरासत में लिया है। इनमें से कई ऐसे हैं जिनकी जानकारी परिवार वालों को भी नहीं दी जा रही है।सैन्य शासन से बचने के लिए कई लोग सीमा पार कर भारतीय राज्य मिजोरम में भी दाखिल हुए हैं। मिजोरम की सरकार ने इन लोगों को अस्थाई तौर पर शरण भी दी है और इनके खाने-पीने का इंतजाम भी किया है। हालांकि भारत सरकार के आधिकारिक बयान में सरकार ने इनको शरणार्थी नहीं माना है। पिछले माह ही म्यांमार की सैन्य सरकार द्वारा मिजोरम राज्य को लिखे इस पत्र में भारत और म्यांमार के बेहतर रिश्तों का हवाला भी दिया गया था।
एंटोनियो गुटारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक के मुताबिक भारत में आने वाले म्यांमार नागरिकों की संख्या करीब 4-6 हजार तक है। जबकि थाईलैंड में मार्च से अप्रैल के बीच करीब 1700 लोग शरणार्थी बनकर पहुंचे हैं। हालांकि इनमें से कई वापस भी लौट चुके हैं। यूनाइटेड नेशन रिफ्यूजी एजेंसी के आंकड़े बताते हैं कि फरवरी से अब तक 60700 लोग विस्थापित हुए हैं।
आपको बता दें कि भारत और म्यांमार के बीच करीब 1600 किमी लंबी सीमा रेखा मिलती है। अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम से लगता बोर्डर अंतरराष्ट्रीय सीमा है। म्यांमार में मौजूद संयुक्त राष्ट्र की टीम ने सभी देशों से अपील की है कि वो अपने यहां पर आने वाले म्यांमार के नागरिकों को आने से इनकार न करें और उनकी सुरक्षा या मदद से इनकार न करें। इसके साथ ही यूएन ने सैन्य शासन से लोगों पर हो रही कार्रवाई को तुरंत रोकने की अपील की है। इमसें कहा गया है कि सेना प्रदर्शनकारियों पर हथियारों का प्रयोग न करे। दुजारिक का यहां तक कहना है कि म्यांमार में मौजूद यूएन की टीम तख्तापलट के बाद दूसरे देशों में शरण लेने वाले म्यांमार के नागरिकों को लेकर चिंतित है।