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पीएम मोदी ने किया सेंट्रल विस्टा एवेन्‍यू का उद्घाटन

नई दिल्ली कर्तव्य पथ के उद्घाटन और नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा के अनावरण के साथ ही भारत ने गुलामी के दो और प्रतीकों से मुक्ति पा ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे ऐतिहासिक और अभूतपूर्व बताते हुए कहा कि अब इसमें सिर्फ नए भारत का भविष्य नजर आएगा। यह बदलाव सिर्फ प्रतीकों तक सीमित नहीं है बल्कि सरकार के कामकाज में भी साफ नजर आ रहा है।

इस अवसर पर उन्होंने आजादी के बाद नेताजी को नजरअंदाज किए जाने को लेकर कांग्रेस पर तंज भी कसा।  कहा कि आजादी के बाद अगर देश नेताजी के बताए रास्ते पर चला होता तो आज नई ऊंचाई पर होता। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले आठ वर्ष के दौरान गुलामी के प्रतीकों को समाप्त करने के कई कदमों का विस्तार से उल्लेख भी किया।

कर्तव्य पथ पर आयोजिक भव्य समारोह में प्रधानमंत्री ने कहा ‘अगर जार्ज पंचम की मूर्ति के निशान को हटाकर नेताजी की मूर्ति लगी है तो ये गुलामी की मानसिकता के परित्याग का पहला उदाहरण नहीं है। राजपथ ब्रिटिश राज के लिए था, जिनके लिए भारत के लोग गुलाम थे। राजपथ की भावना भी गुलामी का प्रतीक थी। उसकी संरचना भी गुलामी का प्रतीक थी। आज ‘कर्तव्य पथ’ के रूप में इसका नाम ही नहीं बदला है, बल्कि इसकी बनावट भी बदली है और इसकी आत्मा भी बदली है।’

कर्तव्य पथ केवल ईंट-पत्थरों का रास्ता भर नहीं है। ये भारत के लोकतांत्रिक अतीत और सर्वकालिक आदर्शों का जीवंत मार्ग है। यहां जब देश के लोग आएंगे तो नेताजी की प्रतिमा, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक उन्हें कितनी बड़ी प्रेरणा देंगे, उन्हें कर्तव्यबोध से ओत-प्रोत करेंगे।’ गुलामी की मानसिक वाले प्रतीकों से देश को मुक्त करने के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ‘ये न शुरुआत है और न अंत।। ये मन और मानस की आजादी का लक्ष्य हासिल करने तक, निरंतर चलने वाली संकल्प यात्रा है।’

नेताजी सुभाषचंद्र बोस को याद करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों में हमने एक के बाद एक ऐसे कितने ही निर्णय लिए हैं जिन पर नेताजी के आदर्शों और सपनों की छाप है। नेताजी सुभाष, अखंड भारत के पहले प्रधान थे जिन्होंने 1947 से भी पहले अंडमान को आजाद कराकर तिरंगा फहराया था।

नेताजी के प्रतीकों को नजरअंजाद किया गया:  अगर आजादी के बाद हमारा भारत सुभाष बाबू की राह पर चला होता तो आज नई ऊंचाइयों पर होता! लेकिन दुर्भाग्य से, आजादी के बाद हमारे इस महानायक को भुला दिया गया। उनके विचारों को, उनसे जुड़े प्रतीकों तक को नजरअंदाज कर दिया गया। सुभाष चंद्र बोस ऐसे महामानव थे जो पद और संसाधनों की चुनौती से परे थे।

उनकी स्वीकार्यता ऐसी थी कि पूरा विश्व उन्हें नेता मानता था। उनमें साहस था, स्वाभिमान था। उनके पास विचार थे, विजन था। उनमें नेतृत्व की क्षमता थी और नीतियां थीं।

इंडिया गेट के समीप राष्ट्रनायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 28 फुट ऊंची काले ग्रेनाइट से बनी मूर्ति के अनावरण के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ‘गुलामी के समय यहां ब्रिटिश राजसत्ता के प्रतिनिधि की प्रतिमा लगी हुई थी। आज देश ने उसी स्थान पर नेताजी की मूर्ति की स्थापना करके आधुनिक, सशक्त भारत की प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी है।’

आजादी के अमृत महोत्सव में देश को एक नई प्रेरणा और नई ऊर्जा मिली है। हम गुजरे हुए कल को छोड़कर, आने वाले कल की तस्वीर में नए रंग भर रहे हैं। हर तरफ ये जो नई आभा दिख रही है वो नए भारत के आत्मविश्वास की आभा है।

श्रमिकों से प्रधानमंत्री ने बातचीत की

कर्तव्य पथ के निर्माण में लगे श्रमिकों से प्रधानमंत्री ने बातचीत की और उन्हें 26 जनवरी के दिन गणतंत्र दिवस के समारोह के लिए सपरिवार आमंत्रित भी किया। भारत श्रमिकों का सम्मान कर रहा है और यह सम्मान आइएनएस विक्रांत बनाने वाले श्रमिकों से लेकर काशी विश्वनाथ धाम और महाकुंभ में लगे श्रमिकों का किया गया।

उन्होंने इससे भी आगे बढ़कर कहा कि संसद के नए भवन में उसके निर्माण करने वाले श्रमिकों के लिए अलग से दीर्घा होगी। आधुनिक भारत में हो रहे बुनियादी ढांचे के विकास पर उन्होंने कहा कि परिवहन संबंधी बुनियादी ढांचे के साथ ही सोशल, डिजिटल और कल्चरल के क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का विकास हो रहा है जो अपने आप में बेहतरीन उदाहरण है। इसकी पूरी दुनिया में चर्चा है।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा के अनावरण पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जिन्होंने देश की आज़ादी और निर्माण के लिए योगदान दिया, आज देश पूरे कृतज्ञ भाव से उन सबको श्रद्धांजलि दे रहा है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि मोदी जी जब से प्रधानमंत्री बने हैं तब से नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अलग-अलग प्लेटफार्म में अलग-अलग तरीके से स्थान दिया जा रहा है। मैं मानता हूं कि नेताजी की मूर्ति और कर्तव्य पथ का उद्घाटन करना आज़ादी का अमृत महोत्सव काल का बहुत बड़ा एक कदम है।

 

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि कर्तव्य पथ पर चलकर इस देश की वैभव्य और एक नक्षत्र की तरह उभारने की जो क्षमता हमारे देश में है उस पर हमें पूर्ण रूप से लगना है। भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा कि वर्षों से लोगों का एक वर्ग था जो देश पर शासन कर रहा था और चाहता था कि केवल सीमित संख्या में लोगों को ही याद किया जाए। पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे नेताओं को हमारे इतिहास के कोने-कोने में धकेला जाता था। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि यह एक अच्छी शुरुआत है। औपनिवेशिक मानसिकता को खत्म करना होगा।

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