दुर्ग। जिला एवं सत्र न्यायाधीश और पुलिस अधीक्षक दुर्ग ने केंद्रीय जेल दुर्ग का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने जेल की व्यवस्थाओं के संबंध में जायजा लिया और बंदियों से भी पूछताछ की। इस दौरान यह प्रकाश आया कि बंदियों को दी जाने वाली दाल की मात्रा कम है। बैरकों में साफ-सफाई को लेकर भी शिकायत सामने आई है।
निरीक्षण में यह पाया गया कि बंदियों के सामान का निरीक्षण किया गया जिसमें कोई आपत्तिजनक वस्तुएं अथवा नशा से संबंधित वस्तु नहीं पाई गई। बंदियों को दिए जाने वाले भोजन सामग्री की गुणवत्ता देखी गई । जिसमें दाल की मात्रा कम पाई गई।प्रत्येक व्यक्ति को 150 ग्राम दाल दिए जाने का प्रावधान है।
उक्त संबंध में दाल की मात्रा बढ़ाए जाने निर्देशित किया गया। बंदियों को दिए जाने वाला भोजन संतोषजनक पाया गया। बंदियों के बैरक की साफ-सफाई देखी गई। कई स्थानों पर साफ-सफाई में कमी पाई गई।निरीक्षण के दौरान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संतोष ठाकुर,जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव राहूल शर्मा सहित अन्य उपस्थित थे।बंदी जिन्हें 432(2) दंड प्रक्रिया संहिता के तहत् पेरोल पर रिहा किया जा सकता है उनके संबंध में जानकारी प्राप्त की गई । जेल प्रशासन को ऐसे बंदी जिन्हें पेरोल का लाभ दिया जा सकता है उनके आवेदन के लंबित रहने के कारणों सहित जानकारी प्राधिकरण को प्रेषित किए जाने हेतु निर्देशित किया गया।
बंदियों को पेरोल पर रिहा किये जाने के संबंध में एक अगस्त 2021 से पायलेट प्रोजेक्ट की शुरूआत की जानी है जिसमें सजायाफ्ता बंदियों को पेरोल का लाभ समयावधि में प्रदान किया जाना है। निरीक्षण के बाद केंद्रीय जेल अधीक्षक दुर्ग के साथ बैठक कर उन्हें पाई गई कमियों और अव्यवस्थाओं से अवगत कराया गया तथा तत्काल कार्यवाही के निर्देश दिए गए।
नए बंदी जो जेल में प्रवेश करते है उनके स्वास्थ्य परीक्षण के लिए क्या व्यवस्था की गई है इस संबंध में भी जानकारी ली गई। बंदियों को मास्क दिया गया है अथवा नहीं,शारीरिक दूरी बनाए रखने के नियम का किस तरह से पालन करवाया जा रहा है इसकी जानकारी भी ली गई।