रामपुर.प्रदेश के 13 साल पुराने चर्चित कारतूस घोटाले के मामले में अदालत ने गुरुवार को दोष सिद्ध कर दिया। इस मामले में पुलिस, पीएसी और सीआरपीएफ के 20 जवानों समेत 24 लोग दोषी पाए गए हैं। इनमें चार आम नागरिक हैं। अदालत इन सभी को शुक्रवार को सजा सुनाएगी। सभी को जेल भेज दिया गया है। कारतूस घोटाले का पर्दाफाश एसटीएफ लखनऊ ने 29 अप्रैल 2010 को किया था।एसटीएफ की टीम ने ज्वालानगर रेलवे क्रासिंग के पास घोटाले के सूत्रधार पीएसी से सेवानिवृत्त दारोगा यशोदा नंद को गिरफ्तार किया था।
उसके साथ सीआरपीएफ के दो जवान विनोद पासवान और विनेश कुमार भी पकड़े गए थे। एसटीएफ को तीनों के कब्जे से 1.76 लाख रुपये और ढाई क्विंटल खोखा कारतूस, मैगजीन व हथियारों के पुर्जे बरामद हुए थे। इस मामले में एसटीएफ के दारोगा आमोद कुमार सिंह की तहरीर पर सिविल लाइंस कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया था।
इस मामले में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक रमित शर्मा (वर्तमान में पुलिस कमिश्नर प्रयागराज) ने गंभीरता से लिया और अपनी निगरानी में विवेचना कराई। यशोदा नंद से एक डायरी मिली, जिसमें कई जिलों के पुलिस व पीएसी के जवानों के नाम लिखे थे, जिनसे वह खोखा और कारतूस खरीदता था। एसपी ने टीमें भेजकर इन्हें भी गिरफ्तार कराया।।