दुर्ग उफनती शिवनाथ नदी में डूबी कार को 60 घंटे बाद बरामद किया जा सका। कार की तलाश में जब SDRF और SDRF के आधुनिक उपकरण फेल हो गए, तो देशी तकनीक अपनाई गई। प्रदेश में पहली बार महाजाल का इस्तेमाल किया गया और स्थानीय मछुआरों को सर्चिंग टीम का हिस्सा बनाया। नदी में उतरने के महज 10 मिनट बाद ही मछुआरे अपने साथ कार को नदी के बाहर ले आए। 3 दिन पहले एक इनोवा कार पुलगांव क्षेत्र में नदी में समा गई थी।
हादसे की सूचना के बाद से NDRF और SDRF ने सर्चिंग ऑपरेशन शुरू किया। बुधवार सुबह 6 बजे सर्चिंग करने नदी में उतरी NDRF और SDRF टीम के हाथ दोपहर 12 बजे तक खाली थे। दो दिन तक सर्चिंग के बाद जब कार का कोई पता नहीं चला तो टीम निराश होने लगी थी। ऐसे में SDRF के प्रभारी कमांडेंट नागेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि महाजाल मंगवाया गया। नदी में महाजाल को डालने के लिए शिवनाथ के किनारे रहने वाले स्थानीय मछुआरों को सर्चिंग टीम का हिस्सा बनाया गया।
मछुआरे बंशी के नेतृत्व में बलराम ढीमर, श्याम और कैलाश ढीमर सहित 14 मछुआरे नदी में उतरे।नदी में उतरने से पहले मछुआरों ने पुराने पुल पर पूजा अर्चना की। उसके बाद 12 बज कर 55 मिनट पर महाजाल लेकर नदी में उतरे। 250 मीटर लंबा जाल डालने के कुछ देर बाद ही दोपहर 1 बजकर 5 मिनट में मछुआरों ने 20 फिट गहरे नदी के पानी में कार को खोज निकाला। कार में मिले शव की पहचान रायपुर के पचपेड़ी नाका निवासी निशांत भंसाली (32) पुत्र मनोहर मल जैन के रूप में हुई।
कार मिलने की सूचना मिलते ही NDRF और SDRF की चार बोट मौके पर पहुंची। इसके बाद मछुआरों ने कार को मजबूत रस्सी से बांधा। कार नदी में लगभग 20 फिट गहरे पानी में डूबी थी। जिस जगह पर कार मिली उसकी पुल से दूरी करीब 150 मीटर थी। इसके बाद पुल में खड़े लोगों, पुलिस के जवानों व मछुआरों की मदद से कार को घसीटकर नदी के किनारे पुल तक लाया गया। इसके बाद क्रेन बुलाई गई और क्रेन से कार को बांधकर नदी के बाहर निकाला गया।
इस सर्चिंग अभियान में स्थानीय मछुआरे कैलाश ढीमर, श्याम ढीमर, दुर्गा ढीमर, बंशी ढीमर, बलराम ढीमर, रामकुमार ढीमर, छोटे ढीमर, उत्तम ढीमर, शेखर ढीमर, अमन ढीमर, बंशी ढीमर और बल्लू ढीमर सहित 14 लोगों का विशेष सहयोग रहा। ये लोग नदी में न उतरते तो शायद कार खोजने में और भी समय लगता। एसपी दुर्ग डॉ. अभिषेक पल्लव ने खुद उनकी सर्चिंग की क्षमता को देखा। इसके बाद उन्होंने उनकी पीठ थप थपा कर सराहा और कहा कि 15 अगस्त के दिन उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा।
इस तरह चला सर्चिंग अभियान
- सुबह 6 बजे : SDRF और NDRF की टीम नदी में उतरी।
- 12 बजे : कार का पता नहीं चला।
- 12.15 बजे : स्थानीय मछुआरों को बुलाया गया।
- 12.28 बजे : मछुआरों ने पुराने ब्रिज में पूजा अर्चना की।
- 12.55 बजे : मछुआरे नदी में उतरे।
- 1.5 बजे : कार मिली।
- 1.10 बजे : मछुआरों की आवाज पर SDRF और NDRF की टीम वहां पहुंची।
- 1.20 बजे : मछुआरों ने गहरे पानी में जाकर कार को रस्सी से बांधा।
- 1.30 बजे : कार को खींच कर पुराने ब्रिज के पास लाया गया।
- 2.05 बजे : कार को निकाले के लिए क्रेन पहुंची।
- 2.30 बजे : कार को क्रेन से बांधा गया, लेकिन बेल्ट खुल गई।
- 3.05 बजे : स्थानीय मछुआरों ने कार को क्रेन से बांधा।
- 3.09 बजे : क्रेन के खींचने पर कार नदी के पानी से बाहर दिखाई दी।
- 3.25 बजे : कार को नदी से बाहर निकाला गया।
- 3.32 बजे : कार से शव को बाहर निकाला।
- 3.55 बजे : पंचनामा कार्रवाई के बाद शव को पीएम के लिए भेजा गया।
SDRF के प्रभारी नागेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ़ में पहली बार महाजाल का उपयोग दुर्ग में हुआ है। इस जाल की ख़ासियत यह है कि यह लगभग 25 मीटर चौड़ा और 250 मीटर लंबा है। इसमें हाई पावर मैग्नेट लगाए गए हैं।
यह छोटी चीजों को फंसाने में सक्षम नहीं है। जब महा जाल को डाला गया तो चुंबक वजह से वह नदी की तलहटी में बैठा और जब मछुआरों ने उसे खींचा तो कार के संपर्क में आते ही उसके मैग्नेट कार से चिपक गए।