प्रमाणित बीज से खेती करने वाले किसानों को बीज विकास निगम द्वारा घटिया बीज दिया जा रहा है। बेपरवाही का आलम ये कि 10 किलोग्राम प्रमाणित बीज में एक किलोग्राम बदरा निकल रहा है। संेदरी और तखतपुर के प्रगतिशील किसान जो प्रमाणित बीज से खेती करते हैं इनके बीच शिकायत आ रही है। घटिया बीज को लेकर किसानों का गुस्सा फूटने लगा है।बीज विकास निगम द्वारा किसानों को हर साल प्रमाणित बीज की आपूर्ति की जाती है। इस बार जिन किसानों ने निगम ने प्रमाणित बीज खरीदा है घटिया क्वालिटी की शिकायत आ रही है। तखतपुर के अलावा ग्राम संेदरी व बेलतरा के किसानों ने इस तरह की शिकायत दर्ज कराई है। इनका कहना है कि अच्छी क्वालिटी के बजाय बीज अमानक और घटिया है। निगम ने इस वर्ष जिले में 31 हजार क्विंटल बीज बिक्री का लक्ष्य तय किया गया है।
जिले के किसानों के बीच बीच अब तक 22 हजार क्विंटल धान बीज की बिक्री निगम के द्वारा की गई है। प्रमाणित बीज की कीमत प्रति क्विंटल तीन हजार स्र्पये तय की गई है। गुणवत्ता के अनुसार बीज की कीमत में वृद्धि की भी शर्त रखी गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में किसान खेती किसानी के काम में व्यस्त हो गए हैं। रोपा पद्धति से खेती करने वाले धान का थरहा लगा रहे हैं वही बोनी पद्धति से खेती करने बोआई कर रहे हैं।
रोपाई पद्धति से खेती करने वाले किसानों ने धान का थरहा लगाने के लिए बीज को पानी में डुबाया तब ठोस बीज पानी में डूब गया और बदरा पानी के ऊपर तैरने लगा। तब किसानों को गड़बड़ी की आशंका हुई। पूरे बीज को जब गरम पानी और नमक के साथ डुबाया गया तब बदरा के अलावा करगा और काला बीज भी पानी मंे तैरने लगा। संेदरी के किसान कमलेश सिंह ने बताया कि 10 किलोग्राम बीज में एक किलोग्राम बदरा निकल रहा है। इसके अलावा करगा और काला बीज भी बड़ी मात्रा में मिल रहा है। बीजों में खरपतवार भी मिल रहा है।
खरपतवार और करगा से खेत खराब हो जाएगा। इसके अलावा उत्पादन भी प्रभावित होगा। करगा और खरपतवार के कारण खेतों में धान का पौधा पर्याप्त मात्रा में तैयार नहीं हो पाएगा। खेत के खराब होने की आशंका भी बनी रहेगी। तब साल दर साल अच्छी तरीके से निंदाई गुड़ाई कराना पड़ेगा। इसमंे किसानों को अतिरिक्त खर्च करनी पड़ेगी। खेतों से खरपतवार व करगा को खत्म करने के लिए किसान प्रमाणित बीज का उपयोग करत हैं और इसके लिए रोपाई पद्धति से खेती करते हैं। प्रमाणित बीज उत्पादन करने वाले किसानों का बीज विकास निगम में पंजीयन होता है। पंजीकृत किसानांे को बीज उत्पादन के बाद निगम में देना पड़ता है। निगम द्वारा सैंपल की जांच के लिए रायपुर स्थिल लैब भेजा जाता है। लैब में तकनीकी परीक्षण के बाद रिपोर्ट भेजी जाती है। रिपोर्ट के आधार पर बीज विकास निगम किसानांे से बीज की खरीदी करता है।