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वट सावित्री व्रत पर बन रहा विशेष संयोग

हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत और शनि जयंती का विशेष महत्व है. इस बार यह दोनों त्यौहार सोमवारी अमावस्या के दिन पड़ने से विशेष संयोग बन रहा है. ज्योतिषों की माने तो ऐसा संयोग 30 साल बाद बन रहा है.

इसके साथ सोमवारी अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग व सुकर्मा योग भी बन रहा है. इस दिन लोग शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और ग्रह नक्षत्रों के प्रभाव को दूर करने के लिए लोग शनि जयंती का व्रत रखते हैं.

वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को पड़ता है. इस बार अमावस्या तिथि 30 मई को है. महिलाएं वट सावित्री व्रत रख इस दिन वट वृक्ष की पूजा करती है. ऐसा माना जाता है कि जो महिलाएं इस दिन वट सावित्री व्रत रख कर विधि विधान से पूजा करती हैं. उन्हें अखंड सौभाग्य का फल प्राप्त होता है. इस दिन व्रत रहने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है.

वहीं महिलाएं अंखड सौभाग्यवती होने के लिए वट सावित्री का व्रत रखती हैं. धार्मिक मान्यता अनुसार इस दिन किए गए दान-पुण्य का कई गुना फल मिलता है. आइए जानते हैं कब और कैसे रहना है, सोमवारी अमावस्या के दिन शनि जयंती और वट सावित्री व्रत?

वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को पड़ता है. इस बार अमावस्या तिथि 30 मई को है. महिलाएं वट सावित्री व्रत रख इस दिन वट वृक्ष की पूजा करती है. ऐसा माना जाता है कि जो महिलाएं इस दिन वट सावित्री व्रत रख कर विधि विधान से पूजा करती हैं. उन्हें अखंड सौभाग्य का फल प्राप्त होता है. इस दिन व्रत रहने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है.

व्रत रखने वाली महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करने से पहले सावित्री-सत्यवान की प्रतिमा, लाल कलावा, कच्चा सूता, धूप-अगरबत्ती, मिट्टी का दीपक, घी, फल, रोली मिष्ठान, सवा मीटर कपड़ा, नारियल, पान, अक्षत, सिंदूर सहित अन्य सिंगार के समान मंगा लें.

विधि से करें पूजा

वट सावित्री व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान करने के बाद वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की मूर्ति रख कर विधि विधान से पूजा करें. इसके बाद वट वृक्ष पर जल चढ़ाएं. साथ ही कच्चे सूते से वट के वृक्ष में सात बार परिक्रमा करते हुए बांध दें. अब महिलाएं सावित्री-सत्यवान के प्रतिमा के सामने रोली, अक्षत, भीगे चने, कलावा, फूल, फल अर्पित करें.

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