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धर्मान्तरित व्येक्ति के शव दफनाने को लेकर गांव में विवाद,ग्रामीणों ने पुलिस थाना पहुंचकर जमकर किया हंगामा

कांकेर/पखांजूर। माचपल्ली के मतांतरित ग्रामीण के शव को पखांजुर में दफनाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। नाराज ग्रामीणों ने आज सुबह से ही पुलिस थाना के सामने चक्काजाम कर दिया है। जिससे आवागमन पूरी तरह से बन्द है। साथ ही यात्री वाहन भी बन्द है। गौरतलब है कि ग्रामीणों ने कल पुलिस थाना पहुंचकर जमकर हंगामा मचाया था और पुलिस थाना के सामने टेंट लगाकर प्रदर्शन शुरू कर दिया था। वहीं प्रदर्शन का आज दूसरा दिन है। इस दौरान नगर पंचायत के वार्डवासी समेत पूर्व वनमंत्री विक्रम उसेंडी और पूर्व विधायक भोजराज नाग भी मौजूद है। आज सर्व हिंदू संगठन ने बंद का आह्वान किया था। मांग को जायज बताते हुए तमाम व्यपारियों ने सुबह से ही अपनी प्रतिष्ठानों को बन्द रखी है। वहीं मामले को मद्देनजर रखते हुए पुलिस के आला अफसर डंटे हुए है और कोई अप्रिय घटना न हो इसके लिए पखांजुर को पुलिस छावनी के रूप में तब्दील कर दिया गया है।

ग्रामीणों की मांग है कि मतांतरित ग्रामीण के शव को बाहर निकाला जाए औऱ कब्रिस्तान के लिए आबंटित भूमि को रद्द किया जाए। मांग पूरी नहीं होने पर चक्काजाम जारी रखने की चेतावनी प्रदर्शनकारियों ने दी है। सुबह से ग्रामीण जमकर नारेबारी कर रहे है। दोपहर तक प्रशासनिक अधिकारियों से कोई सकारात्मक वार्ता नहीं होने से नाराज ग्रामीण उग्र हो गए और स्वयं जाकर दफनाए गए शव को उखाड़ कर पुलिस थाना पखांजुर के सामने लाकर रखने को तैयार हो गए। गरमाते माहौल को मद्देनजर रखते हुए एसडीएम, तहसीलदार औऱ एसपी मौके पर पहुंचकर माहौल को शांत कराया है। वर्तमान में पखांजूर प्रशासन के तमाम अफसर पुलिस थाना पखांजुर में बैठक कर चर्चा कर रहे हैं। कुछ देर बाद स्पस्ट होगा कि अफसरों का चर्चा कितना सफल हुआ और अफसरों और शांतिवार्ता का प्रयास कितना सफल होगा देखने वाली बात होगी।

जानिए क्‍यों आज पखांजूर है बंद

दरअसल, यह मामला ग्राम पंचायत माचपल्ली का है। यहां मतांतरित कर क्रिश्चयन बने मृतक आदिवासी युवक का शव नगर पंचायत के वार्ड क्रमांक एक में दफनाने को लेकर विवाद शुरू हो गया। युवक की मौत गांव में ही हुई थी। लेकिन विवाद के चलते गांव में युवक का शव को नहीं दफनाया जा सका, जिसके बाद इसकी शिकायत मृतक के बेटे ने प्रशासन से की थी।

प्रशासन और पुलिस अधिकारियों की सुरक्षा में मृतक का शव 4 अगस्त की रात माझपल्ली से पखांजूर लाकर वार्ड क्रमांक एक में दफनाया गया। इस दौरान हिंदू संगठन ने शव दफनाने का विरोध शुरू कर दिया और रात में इसके विरोध में पखांजूर थाने में आवेदन भी दिया। इसी विवाद के चलते पखांजूर थाने के सामने वार्ड वासियों ने प्रशासन के खिलाफ धरना भी दिया।

शव दफनाने को लेकर गांव में विवाद

ग्राम माचपल्ली में बीमारी से मरे युवक का शव दफनाने को लेकर गांव में शुरू हुआ विवाद अब पखांजूर पहुंच गया है। ग्राम माचपल्ली निवासी दिलीप पददा की 3 अगस्त को मौत हो गई। युवक विगत एक वर्ष से बीमार चल रहा था। इसी दौरान वह मसीही समाज के किसी प्रचारक के संपर्क में आया और उसकी बीमारी ठीक होने की बात कह उसका और उसके परिवार का एक माह पूर्व ही मतांतरण करा दिया गया।

मतांतरण के चलते शव को आदिवासी सामाज के लोगों ने अपने कब्रिस्तान में नहीं दफनाने दिया। इस दौरान स्‍वयं की जमीन में शव दफनाने का प्रयास किया गया, पर मृतक के अन्य परिवार वाले भी सहमत नहीं हुए और ग्राम के गायता पटेल ने भी विरोध किया जिसके बाद शव का अंतिम संस्कार नहीं हो पाया।

4 अगस्त को इस मामले की शिकायत मृतक के बेटे ने ग्राम ऐसेवेड़ा के जन चैपाल शिविर में कलेक्टर कांकेर से कर दी। जिसके बाद प्रशासन ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए तुरंत माझपल्ली पहुंचा। वहां शव दफन नहीं हो पाने के बाद रात को शव पखांजूर लाया गया और वार्ड क्रमांक एक में पुलिस सुरक्षा के साथ दफना दिया गया।

विरोध में पूर्व सांसद विक्रमदेव उसेंडी का भी साथ

इस धरना प्रदर्शन में पूर्व सांसद विक्रमदेव उसेंडी भी पहुंचे और उन्‍होंने भी वार्डवासियों की मांग का समर्थन किया और प्रशासन के कार्यप्रणाली में सवाल उठाते हुए कहा, प्रशासन द्वारा भूमि के आवंटन में पारदर्शिता नहीं बरती गई। इससे ही प्रशासन की मंशा पता चलती है कि वह कांग्रेस सरकार के दवाव में आदिवासी समाज का मतांतरण कराकर आदिवासी संस्कृति को नष्ट करने में लगा हुआ है।

जिन जमीन में शव को दफनाया गया है वह जमीन मसीही समाज के कब्रिस्तान के लिए आरक्षित की गई है, पर इस मामले को लेकर भी विवाद शुरू हो गया है। आरोप है कि प्रशासन की ओर से चुपके से इस जमीन को मसीही समाज के कब्रिस्तान के लिए आरक्षित कर दिया गया। अब विवाद शुरू हुआ तो प्रशासन आवंटन निरस्त करने की बात कह रहा है।

नगर पंचायत अध्यक्ष वप्पा गांगुली ने बताया, उन्हें भी प्रशासन द्वारा इस जमीन के आरक्षित करने के पूर्व इसकी सूचना तक नहीं दी गई और न ही नगर पंचायत से कोई एनओसी लिया गया। जब शव दफनाया गया और विवाद शुरू हुआ तक उन्हें भी इस बात की जानकारी हुई कि प्रशासन ने ढाई एकड़ भूमि मसीही समाज के लिए आरक्षित की है। उन्होंने बताया की पखांजूर में ही मिशनरी के द्वारा 30 एकड़ से अधिक भूमि खरीदी गई है, वे वहां कब्रिस्तान बना सकते हैं ताकि भविष्य में भी कोई विवाद न हो।

इस मामले में विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे पूर्व विधायक भोजराज नाग ने बताया, मसीही समाज के लोग आदिवासी समाज के लोगों का मतांतरण करा रहे है और वर्तमान कांग्रेस सरकार और प्रशासन उनका अप्रत्यक्ष रूप से साथ दे रहा है। बांदे क्षेत्र में हजारों एकड़ जमीन मसीही समाज के द्वारा खरीदी और वन भूमि पटटा की आड़ में हड़पी गई है, चर्च बनाया गया है और मतांंतरण के लिए स्कूल भी चलाऐ जा रहे है। प्रशासन इसकी भी जांच करे। इन मिशनरियों के पास दुनिया भर के काम के लिए जमीन है पर शव दफनाने के लिए जमीन नहीं है। बांदे क्षेत्र से शव पखांजूर लाया जा रहा है। ग्रामीणों की मांग को जायज बताते हुए प्रशासन को शव उखाड़ने की मांग की।

इस संबध में पखांजूर अनुविभागीय अधिकारी पखांजूर अंजोर सिंह पैकरा ने बताया की उनके पूर्व पदस्थ अनुविभागीय अधिकारी द्वारा इस भूमि का आवंटन किया गया है वर्तमान में विरोध कर रहे वार्ड वासियों से बातचीत कर समाधान निकालने का प्रयास किया जा रहा है।

 

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