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बालगृह की आड़ में ईसाई मतांतरण का खेल बेनकाब

नवा रायपुर के सेक्टर 29 में चल रहे अवैध बालगृह में मतांतरण के खेल की आशंका है। यहां के संचालक नरेश महानंद बाइबिल पढ़ाने का कार्य करते रहे हैं, इसलिए बालगृह पर कार्रवाई करके बच्चों को शासकीय बालगृह में भेजने वाले अधिकारियों ने आशंका जताई है कि शायद बच्चों को भी बाइबिल की शिक्षा देने की योजना रही होगी। यह आशंका इसलिए व्यक्त की जा रही है क्योंकि स्वयं अवैध बाल गृह के संचालक ने स्वीकारा है कि वह बाइबिल का शिक्षक है और ऑनलाइन बाइबिल की शिक्षा प्रदान करता है।

बातचीत के दौरान बाल गृह के संचालक नरेश महानंद ने बताया कि वह भिलाई का रहने वाला है और उसने दो साल तक चंडीगढ़ में बाइबिल पढ़ाई है। कोरोना महामारी के चलते पिछले दो साल से ऑनलाइन बाइबिल की शिक्षा दे रहा है। नौकरी के सिलसिले में वह मॉरीशस एवं अन्य देशों में भी जा चुका है।

अब भिलाई में रहकर अनाथ बच्चों के उत्थान के लिए कार्य कर रहा है।संचालक महानंद ने यह भी माना है कि उससे एक गलती हुई कि जेजे एक्ट के तहत बालगृह चलाने का अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं लिया। उसके पास सभी बच्चों का रिकॉर्ड है और बच्चों के माता अथवा पिता की अनुमति से ही बच्चों को मंडला से लाया गया है।

यहां वे बच्चों का लालन-पालन और अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं। मुझ पर मानव तस्करी का आरोप लगाया जा रहा है, जो कि बेबुनियाद है। महिला एवं बाल विकास विभाग तथा पुलिस थाने में भी बच्चों संबंधी आवश्यक जानकारी के प्रपत्र मैंने जमा किए हैं।अवैध बाल गृह का पर्दाफाश होने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा कार्रवाई करने के लिए पुलिस को लिखा था।  पुलिस ने उन अधिकारियों, कर्मियों का बयान दर्ज किया।

इसमें अधिकारियों ने बताया है कि बाल गृह पर कार्रवाई के दौरान पाया गया कि जेजे एक्ट के नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा था। बाल गृह का पंजीयन नहीं है और सात से 12 साल तक के बालक-बालिका सभी को 20 दिनों से एक ही कमरे में दरी-चादर पर सुलाया जा रहा था।

महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी अशोक पांडेय ने बताया कि पुलिस ने हमारे विभाग द्वारा कार्रवाई करने वालों के बयान दर्ज किए हैं। विभाग द्वारा भी मंडला की बाल संरक्षण समिति एवं कलेक्टर से चर्चा की है। संभवतया सोमवार को मंडला से पुलिस की टीम भी बच्चों से संबंधित सारी जानकारी लेने राजधानी पहुंच रही है। बच्चों और अभिभावकों से बातचीत करने के बाद संभवतया सभी बच्चों को मंडला में ही पुनर्वास करने ले जाया जाएगा।

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