आदिवासी महिला और उसके मानसिक रूप से दिव्यांग बेटे की जमकर पिटाई कर दी गई। महिला अपनी गुम हुई बेटी के लौट आने की सूचना देने थाने पहुंची थी। आरोप है कि यहां केस खत्म करने के लिए उससे 20 हजार रुपए मांगे। इससे इनकार करने पर पुलिसकर्मियों ने उन्हें पीट दिया। पता चलने पर लोगों ने थाने का घेराव करते हुए हंगामा कर दिया। मामला सामने आने के बाद एसपी ने टीआई को सस्पेंड कर दिया है। साथ ही 7 दिन में जांच की रिपोर्ट मांगी है।
जानकारी के मुताबिक, वार्ड-13 निवासी रेखा सावरा की नाबालिग बेटी 2 महीने पहले नाराज होकर घर से चली गई थी। महिला ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। हाल ही में उसकी बेटी घर लौट आई थी। महिला ने थाने में जाकर बताया कि वह अपनी बड़ी मां के घर चली गई थी।
आरोप है कि थाना प्रभारी और जांच अधिकारी ने केस खत्म करने के लिए उससे 20 हजार रुपए मांगे। उसने देने में असमर्थता जताई तो मां और बेटी पर लड़के का नाम बताने का दबाव बनाने लगे।
महिला का आरोप है कि उसे सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक थाने में बिठाकर रखा। बेटी ने बताया कि वह रिश्तेदार के घर गई थी। किसी के साथ भागी नहीं थी। इस दौरान स्थानीय समाज सेविका के हस्तक्षेप से दोनों को छोड़ा गया। पुलिस ने अगले दिन फिर आने को कहा, लेकिन महिला अपने मानसिक दिव्यांग बेटे के साथ सुअर चराने चली गई। इस पर पुलिसकर्मी दिव्यांग बेटे और दो अन्य को पकड़ कर थाने ले आए और मारपीट करने लगे। महिला थाने पहुंची तो उसे भी पीट दिया।
अन्य लोगों को पीटे जाने की सूचना मिली तो परिजन व समाज के लोग पहुंच गए। उन्होंने सभी को छोड़ने को कहा, लेकिन पुलिस तैयार नहीं हुई। इस पर सभी SP ऑफिस पहुंचे, लेकिन छुट्टी होने के चलते मुलाकात नहीं हो सकी।
इस पर समाज के लोग देर शाम थाने के बाहर एकत्र हो गए और प्रदर्शन करने लगे। दबाव बढ़ने लगा तो पुलिस ने महिला को रात को छोड़ दिया। उसने बाहर आते ही पिटाई के निशान दिखाए और TI सीआर चंद्रा और जांच अधिकारी पर आरोप लगाया।
थाना प्रभारी सीआर चन्द्रा ने कहा कि महिला की बेटी घर से लापता हो गई थी, जो वापस आई। उसे पूछताछ और मेडिकल जांच के लिए बुलाया गया था। जब मेडिकल जांच के लिए कहा तो वह उसने इनकार कर दिया। उससे किसी प्रकार का कोई पैसे की मांग नहीं की गई। मेरे ऊपर लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं।