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अंजलि की दोस्त निधि के कई खुलासे के बाद कंझावला कांड में उठे सवाल, पुलिस के पास क्यों नहीं गई निधि?

अंजलि सिंह…मात्र 20 साल की उम्र, परिवार का अकेले पेट पालने वाली लड़की, 31 दिसंबर की रात को जब घर वापस जा रही थी, एक गाड़ी की टक्कर ने उसकी जिंदगी हमेशा के लिए खत्म कर दी. उसे ऐसी दर्दनाक मौत दी गई जिसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता. अब घटना हो गई, जान चली गई, लेकिन पीछे छूट गए हैं कई सवाल. सवाल दिल्ली पुलिस से हैं, सवाल अंजलि की दोस्त निधि से हैं, सवाल उस प्रशासन से जो सोता रहा. इस घटना में अब तक दिल्ली पुलिस की भूमिका ही सवालों के घेरे में चल रही है. उन सवालों के जवाब मिल पाते, उससे पहले अंजलि की दोस्त निधि के कई दूसरे खुलासों ने इस मामले को और ज्यादा उलझा दिया है.

बात करते हुए एक नहीं कई खुलासे किए हैं. उसने बताया है कि आरोपी लड़कों ने जानबूझकर अंजलि को इतने किलोमीटर तक घसीटा. दूसरा दावा ये कि लड़कों को पता चल गया था कि उनकी गाड़ी के नीचे अंजलि फंसी हुई थी, फिर भी कुछ नहीं किया गया. तीसरा दावा ये कि अंजलि स्कूटी चलाते समय शराब के नशे में थी. कई और दावे किए गए हैं, जिनके बारे में आगे बताएंगे, लेकिन निधि के ये खुलासे ही उसकी ‘दोस्ती’ पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लगाते हैं. कई लाजिमी सवाल सिर्फ निधि के दावों पर खड़े होते हैं.

पूरे मामले की एक अहम कड़ी निधि इसलिए भी बन गई है क्योंकि वो इकलौती वो चश्मदीद है जो उस समय अंजलि के साथ मौजूद थी. निधि वो पहला चेहरा है, जो अंजलि के साथ आखिरी वक्त रहा, निधि वो पहला चेहरा है, जिसने हादसा अपनी आंखों से देखा है, निधि वो पहला चेहरा है, जिसके साथ 31 दिसंबर की शाम से रात 2 बजे कार से टक्कर के वक्त तक अंजलि रही, निधि वो पहला चेहरा है, जिसने सबसे पहले कार को टक्कर मारते और अंजलि को कार से घसीटकर ले जाते देखा है, निधि वो पहला चेहरा है, जिसका धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज हुआ है.

वहीं निधि ने अपनी दोस्त की मदद ना करने के बीच भी एक तर्क दिया है. इस बारे में उसने बताया कि मैं बहुत ज्यादा डर गई थी. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं. उस समय मुझे सिर्फ ये ठीक लगा कि मैं अपने घर चली जाऊं. मेरे घर में मेरी मां और नानी थीं. मैंने उन्हें घटना के बारे में सबकुछ बताया था.

अब निधि के मुताबिक उसे इस बात का डर था कि कहीं वो इस मामले में ना फंस जाए, उस डर ने ही उसे अपनी दोस्त की समय रहते मदद नहीं करनी दी. निधि ने एक और बड़ा दावा किया है. उसने बताया कि जिस वक्त ये हादसा हुआ तब अंजलि ने काफी शराब पी रखी थी. वो अपने होश में नहीं थी. स्कूटी चलाते समय एक बार उनकी ट्रक से भी टक्कर होने वाली थी. लेकिन तब किसी तरह से उस हादसे को टाल दिया गया. बातचीत में निधि ने अंजलि के बॉयफ्रेंड का भी जिक्र किया है, ये भी बताया है कि उसकी अपने बॉयफ्रेंड से लड़ाई हो गई थी.

निधि से तो पुलिस शायद पूछताछ करने भी वाली है, लेकिन उन पुलिसवालों की जिम्मेदारी कौन तय करेगा जो घटना वाले दिन सो रहे थे, जो इतने बेसुध थे कि उन्होंने 12 किलोमीटर तक घसीटती हुई एक लड़की दिखाई नहीं पड़ी. इस समय जिस तरह निधि की चुप्पी ने सवाल उठाए हैं, वैसी ही चुप्पी दिल्ली पुलिस की भी बारह घंटे तक रही.

ये चुप्पी अंजलि को कार से घसीटे जाने पर अपनी लापरवाही को लेकर है. अब तक दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी को तो छोड़िए, एक सिपाही तक पर इंच मात्र कार्रवाई नहीं हुई है. जबकि दावा है कि दिल्ली के दो जिलों के पांच थानों के बीच बारह किमी के दायरे में कार से अंजलि को आरोपी घसीटते रहे. राजधानी की यही पुलिस जब निधि को खोजकर लाती है तो सवाल उठता है कि क्या निधि के बयानों को क्रॉस चेक पुलिस ने किया है?

दिल्ली पुलिस के डीसीपी हरेंद्र सिंह कहते हैं कि नया साल था, हैवी पुलिस होती है फिर ऐसा कैसे हो गया कि बॉडी ड्रैग हो रही थी, पता नहीं चला सीसीटीवी जो दिख रहा है, विक्टिम नीचे थे, ऊपर होती तो आसानी से नोटिस हो जाती. अब पांच आरोपी जो बोलते हैं, वही जुबान पुलिस के अधिकारी बोलते हैं. लड़की कार में नीचे फंसी थी. इसलिए नहीं दिखी. लेकिन क्या वाकई यही सच है?

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