सनातन धर्मियों ने नाग पंचमी के अवसर पर नागों का पूजन करते हुए उन्हें दूध पिलाने की परंपरा का निर्वाहन किया होगा। सावन में नाग पंचमी का पूजन यानी शिव की कृपा का सीधा माध्यम लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे क्या मान्यता छुपी है और क्या है वैज्ञानिक तथ्य? धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार सदियों से नाग पंचमी पर नागों को दूध पिलाने की पंरपरा चली आ रही है लेकिन सही मायने में सर्प दूध पीने के कुछ ही दिनों के अंदर मर जाता है।
मान्यता के अनुसार एक बार एक श्राप के कारण नागलोक जलने लगा था। तब नागों पर दूध चढ़ाकर उनकी जलन को शांत किया गया था। जिस दिन यह हुआ था वह दिन सावन मास की पंचमी थी। तभी से सावन मास की पंचमी तिथि पर नागों को गाय के दूध से नहलाने की प्रथा चली आ रही है।
भविष्य पुराण में पंचमी कल्प में नाग पूजा और नागों को दूध पिलाने का वर्णन किया गया है। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नागों को दूध पिलाने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं और घर में अन्न एवं धन का भंडार बना रहता है। नाग पंचमी के दिन जो भी व्यक्ति नागों को दूध पिलाता है अर्थात नागों का दूध से स्नान करता है उसके कुल को नागदंश से मुक्ति मिलती है।