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स्कूल-कॉलेज में हिजाब बैन, मामला संविधान पीठ को भेजा

नई दिल्ली: स्कूल-कॉलेज में हिजाब बैन  का मामला संविधान पीठ को भेजा गया है। फैसले पर दोनों जजों में सहमति नहीं। बताया जा रहा है कि हिजाब पर दोनों जजों की राय अलग-अलग थी। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धुलिया की पीठ हिजाब बैन पर सुनवाई कर रहे थे।

खंडपीठ के एक जज जस्टिस सुधांशु धूलिया ने जहां हाई कोर्ट का फैसला पलटने के पक्ष में फैसला लिखा है, वहीं जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखने के पक्ष में फैसला सुनाया। अब बड़ी बेंच का गठन करने के लिए CJI को मामला भेजा जा रहा है। CJI तय करेगे कि कितने जजों की बेंच इस मामले की अब सुनवाई करेगी।

जस्टिस धूलिया ने कहा कि, लड़कियों की शिक्षा अहम है। वो बहुत दिक्कतों का सामना कर पढ़ने आती हैं। हाई कोर्ट को धार्मिक अनिवार्यता के सवाल पर नहीं जाना चाहिए था। इसे व्यक्तिगत पसंद के तौर पर देखना चाहिए था।  मेरी राय अलग है। मैं कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला रद्द करता हूं। वहीं, जस्टिस गुप्ता- मेरे विचार से इन सभी सवालों का जवाब याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध जाता है। मैं अपील खारिज कर रहा हूं।

दरअसल कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब पर बैन को खत्म करने की याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट के इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

कोर्ट ने हिजाब समर्थक याचिकाकर्ताओं के अलावा कर्नाटक सरकार और कॉलेज शिक्षकों की भी दलीलें सुनीं थीं। गौरतलब है कि मुस्लिम छात्राओं ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। दरअसल हाईकोर्ट ने स्कूलों मे हिजाब पर रोक को सही ठहराया था।

बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने 15 मार्च को उडुपी में ‘गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज’ की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने कक्षाओं के भीतर हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध किया था। कोर्ट ने कहा था कि हिजाब इस्लाम धर्म में अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है।

इसके बाद राज्य सरकार ने 5 फरवरी 2022 को दिए आदेश में स्कूलों तथा कॉलेजों में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था में बाधा पहुंचाने वाले वस्त्रों को पहनने पर पाबंदी लगा दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गईं।

इस मामले में बीते दिनों न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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