बिलासपुर: कोरोना महामारी के आड़ में लोगों ने कई प्रकार के गलत फायदा उठाने का प्रयास किया। महामारी के दौरान स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षक से लेकर कर्मचारियों की मौत हो गई थी। इसके एवज में स्वजन को नौकरी दी जा रही थी। 65 लोगों ने अपने मृत स्वजन के नाम पर फर्जी दस्तावेज जमा कर नियुक्ति ले ली। जब बाद में पता चला तो विभागीय स्तर पर जांच होने के बाद नौ लोगों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। एक की जांच जारी है।
बाकी 55 लोंगों को भी संदेह के दायरे में रखा गया हैै। इस बीच आदिवासी नेता संत कुमार नेता ने डीईओ डीके कौशिक को पत्र लिखकर शिकायत की। साथ ही संदेह के दायरे में आने वाले लोगों को की जांच कर उचित कार्रवाई करने की मांग की गई है। अनुकंपा नियुक्ति के तहत स्कूल शिक्षा विभाग में काम करने वालों के लिए जांच टीम बनी है।
नेताम ने डीईओ को लिखे पत्र में कहा है कि सभी सहायक ग्रेट 3 की तत्कालीन डीईओ पी दाशरथी शशी कुमार प्रसाद ,लिपिक विकास तिवारी द्वारा प्रकरणों की जांच के बाद ही अनुकंपा नियुक्ति का आदेश जारी किया था। नेताम ने कहा है इन लोगों को जांच से अलग रखा जाए नहीं तो ये लोग जांच को प्रभावित करेगें।
डीईओ से मांग किया है कि कमेटी समय सीमा के अन्दर बनाकर जांच करना उचित उन्होंने कहा है सहायक ग्रेट 3 की कितने पर स्वीकृत थे। कितने पदों पर नियुक्ति दी गई। इसके अलावा अनुकंपा नियुक्ति में कितने न पद विरुद्ध वेतन निकाला जा चुका है। इसकी गंभीरता से जांच कराने की मांग की गई है। संत कुमार नेताम ने बताया कि मामले में गड़बड़ी हुई है। इसकी जांच शिक्षा विभाग को ही करना है विभाग के अधिकारियों द्वारा ईमानदारी से जांच की गई तो और कई लोग बर्खास्त हो सकते हैं।