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इजरायल ने गाजा में हमास की सुरंगों में भरना शुरू किया समुद्री पानी

वॉशिंगटन: इजरायल ने अमेरिका को सूचित किया है कि उसने हमास आतंकवादी समूह के भूमिगत नेटवर्क को बड़े पैमाने पर कमजोर करने के लिए सीमित आधार पर गाजा की कुछ सुरंगों में समुद्री जल भरने का सावधानीपूर्वक परीक्षण शुरू कर दिया है। इस अधिकारी ने मंगलवार को सीएनएन को बताया कि इजरायली अभी भी इसको लेकर अनिश्चित हैं कि यह काम करेगा या नहीं। गाजा की कई किलोमीटर में फैली इन सुरंगों में हमास के आतंकी छिपे हुए हैं। वहीं हमास का कमांडर याह्या सिनवार भी इन्‍हीं में छिपा बैठा हुआ है जिसे मोसाद पूरी ताकत से तलाश रही है।

इजरायली अधिकारी ने कहा, ‘लेकिन उन्होंने अमेरिका को आश्वासन दिया कि वे केवल उन सुरंगों में इसका परीक्षण कर रहे है जहां उन्हें विश्वास है की वहां बंधक नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा, ‘सुरंगों में पानी के संबंध में ऐसे दावे किए जा रहे हैं कि इनमें से किसी भी सुरंग में कोई बंधक नहीं है, लेकिन मैं इस तथ्य के बारे में नहीं जानता।” सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायली सेना या सरकार ने रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं की है। इस महीने की शुरुआत में इजरायली सेना ने कहा था कि उसने गाजा में कम से कम 500 सुरंग शाफ्ट को नष्ट कर दिया और हमास नियंत्रित क्षेत्र के आसपास 800 से अधिक को नष्ट कर दिया।

संयुक्‍त राष्‍ट्र में युद्ध विराम का प्रस्‍ताव पारित

सेना ने पिछले सप्ताह कहा था कि सुरंग के कई शाफ्ट नागरिक क्षेत्रों के अंदर स्थित थे। 2021 में हमास ने गाजा के नीचे 500 किमी लंबी सुरंगें बनाने का दावा किया था, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह आंकड़ा सटीक था या नहीं। इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इजराइल और हमास के बीच जारी युद्ध को समाप्त करने के प्रति व्यापक वैश्विक समर्थन दिखाते हुए गाजा में मानवीय मदद की आपूर्ति सुनिश्चित करने के वास्ते युद्धविराम की मांग संबंधी प्रस्ताव के लिए अभूतपूर्व संख्या में मत दिए।

वैश्विक निकाय के 193 सदस्यों में से 153 सदस्यों ने प्रस्ताव के समर्थन में और 10 सदस्य देशों ने इसके विरोध में मतदान किया जबकि 23 अन्य सदस्य अनुपस्थित रहे। यह समर्थन 27 अक्टूबर के उस प्रस्ताव की तुलना में अधिक था जिसमें ‘‘मानवीय संघर्ष विराम’’ का आह्वान किया गया था। उस समय प्रस्ताव के समर्थन में 120 और विरोध में 14 मत पड़े थे तथा 45 देश अनुपस्थित रहे था। सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के विपरीत महासभा के प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं होते, लेकिन सभा द्वारा दिया जाने वाला संदेश दुनिया की राय को दर्शाता है।

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