


मोटे अनाजों को खाने के अपने फायदे हैं. सरकार भी मिलेट की खेती को लेकर किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. ऐसा ही एक दुलर्भ अनाज है फॉक्सटेल. फॉक्सटेल मिलेट को कौणी या फिर बाजरा के नाम से भी जाना जाता है. वैसे तो कर्नाटक में फॉक्सटेल मिलेट की पैदावार सबसे अधिक होती है. लेकिन उत्तराखंड में की जाने वाली कौणी यानी फॉक्सटेल मिलेट में अधिक पोषक तत्वों की मात्रा पाई जाती है. हालांकि पलायन व खेती से दूर होते किसानों की वजह से इसके उत्पादन में गिरावट आई है.


फॉक्सटेल मिलेट (कौणी/बाजरा) दुनिया का सबसे पुराना मिलेट है. फॉक्सटेल मिलेट का रंग हरा होता है पकने पर यह पीला होता है. साथ ही यह स्वाद में हल्का मीठा होता है. इसे गेहूं, चावल के साथ खाया जा सकता है. इसके अलावा कौणी का भात व खीर भी उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में प्रचलित है.
विटामिन B12 की मात्रा सर्वाधिक
एचएनबी गढ़वाल यूनिर्वसटी के बीज विज्ञान विभाग की डॉ. बताती हैं कि कौंणी में विटामीन बी 12 सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है. उन्होंने बताया कि अन्य किसी अनाज में विटामिन बी 12 इतनी मात्रा में नहीं मिलता है, इसके साथ कैल्शियम, प्रोटीन कंटेंट भी उच्च मात्रा में पाया जाता है. कौणी में पाये जाने वाले पोषक तत्वों के कारण यह हार्ट की हेल्थ के साथ मेमोरी ग्रोथ में भी कारगर है. कौणी में फाइबर की प्रचुर मात्रा पाई जाती है, ऐसे में अगर कौणी का भात खाया जाए तो शरीर से सारे विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं.
क्यों कहते हैं फॉक्सटेल
कौणी या फॉक्सटेल मिलेट देखने में बिल्कुल लोमड़ी की पूंछ की तरह लगती है. यही कारण है कि इसे फॉक्सटेल के रूप में जाना जाता हैं. डॉ जानकारी देते हुए बताती हैं कि उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में फॉक्सटेल की खेती विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुकी है. ऐसे में अगर किसान फिर से शुरुआत कर फॉक्सटेल मिलेट की खेती करें तो यह फायदेमंद साबित हो सकती है, क्योंकि उत्तराखंड होने वाले कौणी की पैदावार में हाई वैल्यू पोषक तत्व पाये जाते हैं.