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जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद महाराज हुए ब्राह्मलीन

जबलपुर, । शंकराचार्य स्‍वामी स्‍वरूपानंद सरस्‍वती का निधन हो गया है। महज 19 साल की उम्र में ही वे क्रांतिकारी साधु के रूप में उभरे थे। स्‍वामी स्‍वामी स्‍वरूपानंद सरस्‍वती दो पीठों के शंकराचार्य थे। सनातन धर्म की रक्षा के लिए आजीवन वे संघर्षरत रहे।

स्‍वामी स्‍वामी स्‍वरूपानंद सरस्‍वती लंबे समय से बीमार थे। नरसिंहपुर जिले की झोतेश्‍वर पीठ के परमहंसी गंगा आश्रम में उन्‍होंने अंतिम सांस ली। 99 वर्ष की उम्र में उनका निधन हुआ।द्वीपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का हृदयगति रुकने से निधन हुआ।

12 सितंबर की शाम 4 बजे उनका समाधि कार्यक्रम होगा।अभी नरसिंहपुर जिले की गोटेगांव तहसील के परमहंसी गंगा आश्रम में विराजित थे शंकराचार्य।

पूर्व मुख्‍यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित अनेक वरिष्‍ठ नेता उनके अनुयायी थे। स्‍वामी स्‍वामी स्‍वरूपानंद सरस्‍वती अपनी बेबाक बयानी के लिए भी जाने जाते थे। उनके निधन की खबर से संत समाज में भी शोक छा गया । वे ज्‍योति‍र्मठ और द्वारका पीठ के शंकराचार्य थे।

स्‍वामीजी ने 9 साल की उम्र में ही अपना घर छोड़ दिया था। 2 सितंबर 1924 को उनका जन्‍म हुआ था। 1980 में उन्‍हें शंकराचार्य की उपाधि मिली थी। धर्म के साथ राजनीतिक मुद्दों पर भी वे बेबाकी से अपना बयान समाज के सामाने रखते थे।

द्वीपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी की हालत बेहद नाज़ुक होने पर चिकित्सकों की टीम उनकी जांच कर थी। ज्ञात रहे कि शंकराचार्य ने बीती हरितालिका को ही अपना 99वां जन्मोत्सव मनाया था।

परमहंसी गंगा आश्रम, झोतेश्वर जिला नरसिंहपुर में ली आज दोपहर 3.30 बजे ली अंतिम सांस बहुत समय से शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी बीमार चल रहे थे.

 

 

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