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हिंदू धर्म ग्रंथों में हर माह में 15-15 दिनों के अंतराल में पड़ने वाली एकादशी तिथि पर व्रत, पूजन का खास महत्व है। श्रद्धालु पूरे साल की 24 एकादशी का व्रत करते हैं।
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जो लोग 24 एकादशी का व्रत नहीं कर सकते, वे भीषण गर्मी वाले ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करके सभी 24 एकादशी का फल प्राप्त करते हैं। अनेक श्रद्धालु इस एकादशी पर पानी भी नहीं पीते। इस बार 10 जून काे निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
दान करने का फल हजार गुणा
ऐसी मान्यता है कि निर्जला एकादशी पर व्रत रखकर दान करना चाहिए। इस दिन दान करने से हजार गुणा पुण्य फल की प्राप्ति होती है। चूंकि ज्येष्ठ माह में तेज गर्मी पड़ती है, इसलिए प्यासों को जल, शरबत पिलाना, भंडारे में प्रसादी वितरण करने का खास महत्व है। साथ ही मिट्टी का घड़ा, आम, तरबूज, खरबूजा, पैरों को जलन से बचाने जूता, चप्पल, धूप से बचाने छाता और खजूर के पत्तों से बनी पंखी का दान करना चाहिए
शुक्रवार की सुबह एकादशी तिथि पर स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पूजा करके निर्जला व्रत रखने का संकल्प लें। बिना पानी पिए व्रत रखें और दूसरे दिन सुबह शनिवार को पुन: भगवान विष्णु की पूजा करके व्रत का पारणा करें। ब्राह्मण को भोजन और दक्षिणा अवश्य दें।
धर्म ग्रंथों में उल्लेखित है कि देवर्षि नारद मुनि ने राजपाट वापस हासिल करने और विष्णु की कृपा प्राप्त करने साल की सभी एकादशी का व्रत रखने की सलाह पांडवों को दी थी। भीमसेन ने कहा कि वे भूखे नहीं रह सकते। देवर्षि नारद ने केवल एक ज्येष्ठ शुक्ल की एकादशी पर बिना पानी पिए व्रत रखने की सलाह दी। भीमसेन ने अन्न, जल का त्यागकर व्रत रखा। भीम के व्रत रखने के कारण ही ज्येष्ठ शुक्ल की एकादशी को भीमसेनी एकादशी कहा जाता है।
दूधाधारी मठ के पुजारी पं.रामरतन दास ने बताया कि एकादशी तिथि पर मठ में सेवारत अनेक वरिष्ठ पुजारी निर्जला व्रत रखेंगे। संस्कृत की शिक्षा ले रहे विद्यार्थी फलाहार करके व्रत रखेंगे। इस अवसर पर भगवान राघवेंद्र सरकार का विशेष श्रृंगार, पूजन, आरती की जाएगी
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