


कानपुर: उत्तर प्रदेश में देखने में बेहद साधारण और गरीब लोगों के करोड़पति होने की खबरें अक्सर लोगों को हैरान कर जाती है. ये लोग बीच बाजार में या फिर सड़क में चाट-पकौड़ी, खस्ता-कचौड़ी, चाय-समोसा और पान की गुमटी लगाए मिल जाते हैं. फूड सेफ्टी का भरोसा दिलाने वाला FSSAI सर्टिफिकेट लिए बगैर कई सालों से ऐसे काम कर रहे कारोबारी पुलिस और कमेटी के आने पर सामान समेट कर निकल लेते हैं.


ऐसे मामलों को लेकर इस बार सूबे का कानपुर शहर सुर्खियों में है. जहां एक दो नहीं बल्कि 250 से ज्यादा ऐसे रईसों का कच्चा-चिठ्ठा खुलकर सामने आया है.
हैरान करने वाले खुलासे
ऐसे रईसों की सूची में आपकी गली-मोहल्ले के छोटे-छोटे किराना और दवा व्यापारी भी करोड़पति हैं. ताजा खुलासे के बाद तो माना जा सकता है कि आपके मोहल्ले के मोड़ पर खड़े होकर फल बेचने वाला भी करोड़ों का मालिक हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि आयकर विभाग की जांच में कुछ फल विक्रेता भी करोड़पति और सैकड़ों बीघा खेती लायक अच्छी जमीन के मालिक पाए गए हैं.
जीएसटी रजिस्ट्रेशन से बाहर छोटे किराना व्यापारियों और दवा व्यापारियों की संख्या 65 से ज्यादा है जिन्होंने करोड़ों रुपए कमाए हैं. किसी ने सरकारी आंख से ये पैसा छुपाने के लिए सहकारी बैंकों और छोटी फाइनेंस वाली स्कीम का सहारा लिया तो कई लोगों ने प्रापर्टी में ज्यादातर निवेश अपने भाई, बहन, भाभी, चाचा और मामा के नाम से भी किया. चालाकी दिखा रहे इन लोगों से ये गलती हो गई कि इन्होंने सरकारी दस्तावेजों में अपना पैन कार्ड लगा दिया.
सिर्फ एक प्रापर्टी में पैन कार्ड और आधार आते ही इनका कच्चा चिट्ठा खुल गया. इससे पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में ऐसे रईसों का खुलासा हुआ था. लेकिन ये शायद पहला मामला है
जब एक साथ इतने छुपे रुस्तम पकड़े गए हैं. साल 2019 में अलीगढ़ में एक बेहद ही चौंकाने वाला मामला सामने आया था.
वाणिज्य कर विभाग की टीम ने जांच में एक छोटे से कचौड़ी व्यापारी के 60 लाख सालाना टर्न ओवर होने के मामले का खुलासा किया था