वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने 10 साल से ज्यादा पुराने Devas-Antrix मामले में मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस (PC) किया. उन्होंने इस मामले के लिए कांग्रेस की पिछली सरकार को जिम्मेदार बताया और कहा कि यह भारत के साथ फ्रॉड हुआ था. तत्कालीन सरकार की गलतियों को सही करने में 11-12 साल लग गए.वित्त मंत्री ने कहा कि जब 2005 में यह सौदा हुआ था, तब यूपीए की सरकार थी. यह एक फ्रॉड डील थी.
इसे कैंसल करने में यूपीए सरकार को 6 साल लग गए. मामला इतना बढ़ा कि एक सेंट्रल मिनिस्टर को गिरफ्तार करना पड़ गया. इस सौदे को तो कैबिनेट की मंजूरी भी नहीं मिल पाई थी.तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 24 फरवरी 2011 को कहा था कि एंट्रिक्स और देवास डील को मंजूरी देने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय की जरूरत नहीं क्योंकि ये कभी इस स्तर तक पहुंचा ही नहीं, केवल दो सैटेलाइट को लॉन्च करने की बात कैबिनेट के संज्ञान में लाई गई.
वित्त मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पैरा 12.8 के हवाले से कहा कि देवास भारत में केवल 579 करोड़ रुपये लेकर आई. लेकिन इसमें से 85% राशि भारत से बाहर भेज दी गई. इसमें कुछ हिस्सा अमेरिका में कुछ सब्सिडियरी को बनाने के लिए भेज दिया गया.
कुछ हिस्सा सर्विस और सपोर्ट के लिए भेज दिया गया.और सपोर्ट के लिए भेज दिया गया. कुछ हिस्सा कानूनी लड़ाई में खर्च कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने Devas ने एनसीएलटी और एनसीएलएटी के खिलाफ याचिका दायर की थी. दोनों अपीलीय ट्रिब्यूनल ने देवास मल्टीमीडिया को बंद करने का आदेश दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा.