नई दिल्ली: आज सुप्रीम कोर्ट में 39 महिला अफसरों ने तारीखी जात हासिल की है. सुप्रीम कोर्ट ने मरकज़ी हुकूमत को इन महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का हुक्म दिया है और कहा है कि इस सिलसिले में आदेश जल्द जारी किया जाए.
साथ ही अदालत ने ये भी कहा कि 25 महिला अफसरों को स्थायी कमीशन ना देने के कारणों के बारे में तफसीली रिपोर्ट फराहम की जाए.
आज सुप्रीम कोर्ट में सेना की महिला अधिकारियों की तरफ से दायर अवमानना अर्जी पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच में अहम सुनवाई हुई.
सुनवाई के दौरान, केंद्र की तरफ से एएसजी संजय जैन और वरिष्ठ वकील आर बालासुब्रममण्यन ने अदालत को बताया कि 72 में एक महिला अफसर ने सर्विस से रिलीज करने की अर्जी दी है. सरकार ने बाकी 71 मामलों पर पुनर्विचार किया, जिसमें से सिर्फ 39 को स्थायी कमीशन दिया जा सकता है.
गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 8 अक्टूबर को सेना से कहा था कि आप अपने स्तर पर ये मामला सुलझाइए. ऐसा बिल्कुल ना करें अदालत को हुक्म जारी करना पड़े.
वहीं, अगर महिला अधिकारियों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट ने 25 मार्च 2021 को फैसला सुनाया था कि जिन महिलाओं के स्पेशल सेलेक्शन बोर्ड में 60 फीसदी अंक से मिले हैं और जिनके खिलाफ डिसिप्लिन और विजिलेंस के मामले नहीं हैं उन महिला अधिकारियों को सेना परमानेंट कमीशन दे. बावजूद इसके इन महिला अफसरों को स्थाई कमीशन अब तक नही दिया गया.
10 अगस्त को इन महिलाओं ने रक्षा मंत्रालय और सेना को कानूनी नोटिस भेजा था, उसका भी कोई जवाब नही मिला तब जाकर इन महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
फिलहाल सेना में 1500 के करीब महिला अफसर हैं, जबकि मर्द अफसरों की तादाद 48,000 के आसपास है.
इसका मतलब है कि मर्द अधिकारियों की तदाद महिला अधिकारियों के मुकाबले करीब तीन फीसदी ज्यादा है.