स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल अखिल भारतीय सेवा के अफसरों के बच्चों के लिए खोले गए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को खुद इसका खुलासा किया।
मुख्यमंत्री ने कहा, छत्तीसगढ़ में एक भी ऐसा स्कूल नहीं था, जहां IAS-IPS अफसर अपने बच्चों को पढ़ा सकें। यह स्कूल बन जाने के बाद अफसरों के बच्चों ने लाइन लगाकर एडमिशन लिया है।
दीन दयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित जवाहरलाल नेहरु राष्ट्रीय शिक्षा समागम में बोलते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, कोरोना काल में अफसरों के साथ लगातार बैठकें हो रही थीं।
एक जनप्रतिनिधि होने के नाते मुझे लगता था कि हमारे छत्तीसगढ़ में ऐसा एक भी अस्पताल नहीं, जिसमें IAS-IPS अधिकारी अपना और परिजनों का इलाज करा सकें। ऐसा कोई स्कूल नहीं जिसमें आईएएस – आईपीएस अपने बच्चों को पढ़ा सकें।
मैंने सोचा छत्तीसगढ़ बने 21 साल हो गए अब कम से कम इस चुनौती को स्वीकार करें। डॉ. प्रेमसाय सिंह और डॉ. आलोक शुक्ला ने इसको स्वीकार किया। वहीं से शुरुआत हुई स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल की।
लोअर मिडिल क्लास के दूसरे अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़ाई कराना महंगा पड़ता हैं। यहां से 25 प्रतिशत सीटों पर गरीबी रेखा से नीचे के बच्चों का एडमिशन अनिवार्य है। अनुसूचित क्षेत्रों में तो 75 प्रतिशत बच्चे इसी श्रेणी के हैं।
मुख्यमंत्री ने 2030 का विजन डॉक्यूमेंट भी पेश किया। उन्होंने कहा, स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की तर्ज पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्कूल संचालित किए जाएंगे। ऐसा इसलिए ताकि हमारे बच्चे अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में खड़े हो पाएं।
सरकार तीन वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए बालवाणी शुरू करेगी। वहीं 9वीं से 12वीं तक के स्कूली बच्चों को पढ़ाई के साथ औद्योगिक शिक्षा भी दी जाएगी। ताकि वे पढ़ाई के साथ किसी अन्य विधा का हुनर अर्जित कर सकें।