


सरकार और राजभवन अब खुलकर आमने-सामने आ गये हैं। बुधवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही शुरू होते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्यपाल अनुसूईया उइके पर सार्वजनिक हमला किया। आरक्षण विधेयक पर मचे घमासान के बीच उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, अगर ये तुम्हारी चुनौती है तो मुझे स्वीकार है, लेकिन तुम्हारे लड़ने के तरीके पर धिक्कार है।


मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यहीं नहीं रुके। उन्होंने लिखा – सनद रहे! भले “संस्थान’ तुम्हारा हथियार हैं, लड़कर जीतेंगे! वो भीख नहीं आधिकार है। फिर भी एक निवेदन स्वीकार करो-कायरों की तरह न तुम छिपकर वार करो, राज्यपाल पद की गरिमा मत तार-तार करो। एक दिन पहले ही कांग्रेस ने रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में जन अधिकार महारैली का आयोजन किया था।
इसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था, छत्तीसगढ़ में दो-चार बंधुआ लोगों को छोड़कर सभी लोग आरक्षण विधेयक का समर्थन कर रहे हैं। राज्यपाल ने उस विधेयक को रोक रखा है। मुख्यमंत्री ने कहा, मैने पहले भी आग्रह किया है, फिर कर रहा हूं कि राज्यपाल हठधर्मिता छोड़ें। या तो वे विधेयक पर दस्तखत करें या फिर उसे विधानसभा को लौटा दें।
राज्यपाल न विधेयकों पर दस्तखत कर रही हैं और न विधानसभा को लौटा रही हैं, सवाल सरकार से कर रही हैं। मुख्यमंत्री ने रैली में कहा था, उच्च न्यायालय के एक फैसले की वजह से छत्तीसगढ़ में आरक्षण खत्म हो चुका है।
भाजपा आरक्षण की विरोधी है वह नहीं चाहती है कि आपको आरक्षण मिले। इसी वजह से केंद्र सरकार 14 लाख पद खाली होने के बाद भी नई भर्ती नहीं कर रही है। सार्वजनिक उपक्रमों को बेचा जा रहा है ताकि आरक्षण का लाभ न देना पड़े। छत्तीसगढ़ सरकार लोगों को नौकरी देना चाहती है तो राजभवन के माध्यम से उसे रोका जा रहा है।
राज्यपाल अनुसुईया उइके से मंगलवार को राजभवन में कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की थी। इस दौरान सदस्यों औ राज्यपाल ने एक-दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं दीं।
सदस्यों ने ज्ञापन के माध्यम से छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक, 2022 और छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्था प्रवेश में आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 पर हस्ताक्षर करने का अनुरोध किया।
राज्यपाल की ओर से प्रतिनिधि मंडल को बताया गया कि आरक्षण और विधानसभा से पारित विधेयक के संबंध में प्रदेश के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग व सामान्य वर्ग के करीब 42 विभिन्न संगठनों ने ज्ञापन व आवेदन दिए हैं। राज्यपाल ने इन आवेदनों सहित क्वांटिफिएबल डाटा आयोग के रिपोर्ट से संबंधित बिन्दुओं पर विचार कर विधि सम्मत निर्णय लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि पारित आरक्षण विधेयक को लेकर विधि विशेषज्ञों के परामर्श के बाद निर्णय लेंगी।