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रायपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पिता की मर्जी के खिलाफ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही बालिग बेटी को भरण-पोषण भत्ता देने के मामले में बड़ा फैसला दिया है।
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हाई कोर्ट ने बेटी को भरण-पोषण देने के खिलाफ फैसला दिया है। हाई कोर्ट ने रायपुर फैमिली कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें पिता से अलग रह रही बेटी को हर महीना 5 हजार रुपये देने का आदेश दिया गया था।
24 वर्षीय अविवाहित बेटी बिना किसी कारण अपने परिवार से अलग रह रही है। बेटी ने अपने पिता से भरण-पोषण पाने के लिए रायपुर फैमिली कोर्ट में केस दायर किया था।
इस मामले में रायपुर फैमिली कोर्ट ने पिता को मासिक 5 हजार रुपये भरण पोषण देने का आदेश जारी किया था। इसके खिलाफ पिता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
पिता ने अपनी याचिका में बताया कि बिना किसी कारण उनकी बेटी परिवार से अलग रह रही है। बेटी के बालिग होने की वजह से वे उसे रोक भी नहीं पा रहे हैं।
पिता ने कहा कि उनके और बच्चे हैं, जो पढ़ाई कर रहे हैं। वे पेशे से ड्राइवर हैं और मासिक 38 हजार रुपये वेतन पाते हैं। परिवार का खर्च और बच्चों की शिक्षा-दीक्षा में पैसे खर्च हो जाते हैं।
हाई कोर्ट ने सारे साक्ष्य और तर्क को ध्यान में रखते हुए फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया। याचिका में पिता ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान बेटी बहकावे में आकर एक युवक के साथ बिना किसी कानूनी संबंध के रह रही है।
वे उसे अपने साथ रखना चाहते हैं, लेकिन बेटी उनके साथ रहना नहीं चाहती। बेटी किसी शारीरिक या मानसिक असामान्यता से पीड़ित नहीं है। वह अपना मेंटेनेंस करने में समर्थ है। इसलिए वह भरण-पोषण पाने की हकदार नहीं है।
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