हिमाचल प्रदेश पुलिस के दो आला अधिकारियों के बीच कुल्लू में जो हुआ, उसने एक बार फिर प्रदेश पुलिस को देश दुनिया में शर्मसार कर दिया है। अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैये के पीछे सियासी संरक्षण और वरिष्ठ अफसरों का ढुलमुल रवैया बड़ी वजह बन गया है। किसी अफसर के गलत करने पर उसे एक ओर सियासी संरक्षण मिलने लगता है, दूसरी ओर वरिष्ठ अधिकारी भी बुरा बनने से बचने के लिए ठोस जांच के बजाय मामले को घुमाने में जुटे रहते हैं। नतीजतन, प्रदेश पुलिस के अधिकारी बदनामी के नए आयाम गढ़ती जा रही है। हाल के सालों में कई बार पुलिस के आला अधिकारी ऐसे गंभीर आरोपों में फंसे कि उनकी वजह से हिमाचल का नाम खराब हुआ। बहुचर्चित गुड़िया कांड से जुड़े सूरज लॉकअप हत्याकांड में आईजी जहूर जैदी के अलावा तत्कालीन एसपी डीडब्ल्यू नेगी और डीएसपी मनोज जोशी समेत नौ पुलिस कर्मी जेल गए।
इस मामले में भी पहली बार हुआ था कि आईजी और एसपी स्तर के अधिकारी लॉकअप में किसी आरोपी की मौत के मामले में जेल गए। एसपी स्तर के अधिकारी के खिलाफ एक प्रशासनिक अधिकारी ने पत्नी से अवैध संबंधों की शिकायत कर कार्रवाई की मांग की, लेकिन सियासी रसूख और उच्चाधिकारियों के उदासीन रवैये से अधिकारी को न्याय नहीं मिल सका। इसके अलावा प्रदेश के दो एडिशन एसपी स्तर के अधिकारियों पर महिला पुलिस कर्मियों ने यौन शोषण के आरोप लग गए, लेकिन एक बार फिर ठोस कार्रवाई के बजाय दोनों मामलों में आला अधिकारियों और सरकार ने सिर्फ जांच के नाम पर खानापूर्ति कर दी।
सियासी संरक्षण और अधिकारियाें के लचर रवैये का ही नतीजा है कि कुल्लू में मुख्यमंत्री के सामने देखने एक ओर एसपी ने एडिशनल एसपी को थप्पड़ जड़ दिया। मुख्यमंत्री के सुरक्षा कर्मियों ने एसपी को घेरकर गाली-गलौज और लातें तक मारीं। जाहिर है पुलिस फोर्स में बढ़ते इस गैर जिम्मेदाराना रवैये में सुधार लाने के लिए सरकार और पुलिस के उच्चाधिकारियों को ठोस कदम उठाने पड़ेंगे।