नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा गुरुवार को लोकसभा में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर पेश किए गए श्वेत पत्र पर शुक्रवार को लोकसभा में नियम-342 के तहत चर्चा शुरू हो गई है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को सदन में श्वेत पत्र पर चर्चा के लिए प्रस्ताव पेश किया जिसमें कहा गया है कि, “यह सदन भारतीय अर्थव्यवस्था और भारत के लोगों के जीवन पर इसके प्रभाव पर श्वेत पत्र पर विचार करेगा।” इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि आज सदन दिन भर अर्थव्यवस्था पर पेश किए गए श्वेत पत्र पर चर्चा करेगा।
इस श्वेत पत्र पर लोकसभा में चर्चा के लिए फिलहाल 4 घंटे का समय निर्धारित किया गया है। हालांकि वक्ताओं की संख्या को देखते हुए इस समय को बढ़ाया भी जा सकता है। लोकसभा में श्वेत पत्र पर चर्चा का प्रस्ताव पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यूपीए सरकार देश की अर्थव्यवस्था को गंभीर और बहुत ही खराब हालत में छोड़ कर गई थी। जिसे वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने उबारा और आज देश दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।
उन्होंने यूपीए सरकार के कार्यकाल में हुए घोटाले का जिक्र करते हुए कहा कि 2008 के संकट काल में यूपीए सरकार ने देश को बचाने के लिए कुछ नहीं किया जबकि देश के साथ-साथ दुनिया ने देखा कि भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कोविड के वैश्विक संकट का कैसे सामना किया, भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास की गति तेज की और जी-20 शिखर सम्मेलन से दुनिया भर में भारत का मान सम्मान बढ़ा।
उन्होंने यूपीए सरकार के कार्यकाल में हुए घोटालों और कुप्रबंधन की लिस्ट को गिनाते हुए कहा कि यूपीए सरकार ने देश का सत्यानाश कर दिया था। यूपीए ने कोयले को राख बना दिया था लेकिन मोदी सरकार ने अपने तप से कोयले को हीरा बना दिया।दिन भर चर्चा होने के बाद इसके समापन पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सरकार की तरफ से जवाब भी दिया जाएगा।
आपको बता दें कि सीतारमण ने गुरुवार को संसद में पेश अपने श्वेत पत्र में यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान के कुप्रबंधन और घोटालों का जिक्र करते हुए यह बताया कि किस तरह से यूपीए सरकार के कार्यकाल में यानी 2014 से पहले भारत की अर्थव्यवस्था की हालत कमजोर थी और वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद किस तरह से मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था से जुड़ी चुनौतियों पर काबू पाया, देश की आर्थिक विकास की रफ्तार को तेजी दी और एनडीए के 10 साल के कार्यकाल में भारत दुनिया के शीर्ष पांच अर्थव्यवस्था वाले देशों में शामिल हो गया है।