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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का RSS पर बड़ा हमला

कवर्धा में हुए साम्प्रदायिक हिंसा के बहाने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से जुड़े संगठनों का विरोध-प्रदर्शन जारी है। इस बीच, प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने RSS पर बड़ा जुबानी हमला किया है। मुख्यमंत्री ने कहा, इन लोगों की दो ही चीजों में मास्टरी है।

एक धर्मांतरण और दूसरी साम्प्रदायिकता। ये लोग हर छोटी घटना को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ऐसा कतई नहीं होने दिया जाएगा।

ये लोग किसानों, मजदूरों, आदिवासियों, अनुसूचित जाति, व्यापार और उद्योग के बारे में बात नहीं कर सकते। धर्मांतरण और साम्प्रदायिकता पर ही लड़ाने का काम कर रहे हैं।’

‘कोरोना के कारण बहुत समय से व्यापार-कारोबार बंद था। अब जाकर खुला है तो ये लोग दंगा भड़काकर शहर को बर्बाद करेंगे। हम यह कतई नहीं होने देंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा, किसी भी घटना को बिल्कुल हल्के में नहीं लेना है। ये छोटी सी घटना को भी बड़ा बनाना चाहते हैं।

दो लोग लड़ेंगे तो हो सकता है, उसमें दोनों भाई हों। हो सकता है दो जातियों या दो अलग-अलग धर्मों के लोग हों। आपस में लड़ाई-झगड़ा हो ही जाता है। हर बात को साम्प्रदायिकता का रंग देने की कोशिश करेंगे उस पर हमें कड़ी निगाह रखनी है।’

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में RSS के लोगों का 15 साल तक कोई काम नहीं हुआ। बंधुआ मजदूर की तरह काम करते रहे। आज भी इनकी कोई नहीं चलती।

वो सब नागपुर से संचालित होते हैं। जैसे नक्सलियों के नेता आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और दूसरे प्रदेशों में हैं। यहां के लोग केवल गोली चलाने और गोली खाने का काम करते हैं। RSS की भी स्थिति यही है। यहां RSS के लोगों का कोई वजूद नहीं है। जो कुछ है, वह नागपुर से है।

बघेल ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के उस दावे को भी खारिज किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि महात्मा गांधी के कहने पर सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी थी। इससे जुड़े सवाल पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, लो यह नई बात आ गई।

महात्मा गांधी उस समय कहां थे, वर्धा में, ये (सावरकर) कहां थे, सेल्युलर जेल में। दोनों का संपर्क कैसे हो गया? जेल में रहकर ही सावरकर ने दया याचिका लगाई। एक बार नहीं आधा दर्जन बार।

उन्होंने बताया है कि एक बात और है। सावरकर, माफी मांगकर छूटने के बाद पूरी जिंदगी अंग्रेजों के साथ रहे। उनके खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोले।

यही नहीं अंग्रेजों के फूट डालो और राज करो के एजेंडे पर काम करते रहे। 1925 में जेल से बाहर आने के बाद सावरकर ने सबसे पहले दो राष्ट्र की बात की।

यह जो पाकिस्तान और हिंदुस्तान की बात है, सावरकर ने 1925 में कही थी। 1937 में मुस्लिम लीग ने ऐसा ही प्रस्ताव पारित किया। इन दोनों (सावरकर और मुस्लिम लीग) साम्प्रदायिक ताकतों ने देश के बंटवारे की पृष्ठभूमि तैयार की थी।

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