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लागू हुआ पेसा कानून, राष्ट्रपति ने जारी की नियमावली

MP:  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मंगलवार को जनजातीय गौरव दिवस के कार्यक्रम में शहडोल में मध्यप्रदेश में पेसा कानून की नियमावली को जारी किया। इसके साथ ही मध्यप्रदेश यह कानून लागू करने वाला सातवां राज्य बन गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस मौके पर कहा कि जनजातीय गौरव दिवस पर मैं सभी देशवासियों को बधाई देता हूं। मैं यहां से पहले भगवान मुंडा के गांव जाने का सौभाग्य मिला। उनकी जयंती पर उनकी प्रतिमा का दर्शन कर मैं भाग्यशाली महसूस कर रही हूं। राष्ट्रपति के रूप में मध्यप्रदेश की पहली यात्रा में इतनी बड़ी संख्या भाई-बहनों को देखकर मैं बहुत खुश हूं। यहां ज्यादातर लोग हमारी जनजातीय समुदाय के हैं।

यह मेरे प्रति उनके विशेष स्नेह और उत्साह का परिचय देता है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में जनजातीय आबादी की संख्या दस करोड़ है। डेढ़ करोड़ से अधिक मध्यप्रदेश है। यह किसी भी राज्य में सबसे अधिक जनजातीय आबादी रहती है। जनजातीय समुदाय के विद्यार्थियों को आज सम्मानित किया गया है। उन्हें देखकर उम्मीद करती हूं कि आने वाला समय और अधिक उज्जवल होगा। मध्यप्रदेश में पेसा कानून के विस्तार से जुड़ी नियम पुस्तिका का विमोचन हुआ है। जनजातीय समुदायों के सशक्तिकरण के लिए इन नियमों का उपयोग किया जाएगा।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद द्रौपदी मुर्मू जी पहली बार मध्यप्रदेश आई हैं। शहडोल में तो पहली बार कोई राष्ट्रपति आया है। दूर-दूर तक जनसमुदाय दिख रहा है। 83 ब्लॉक्स में यह पेसा कानून लागू होने वाला है। यह जमीन, जंगल, जल, खदानें भगवान ने सबके लिए बनाई है। यह हम सबकी है। पेसा कानून के तहत हमने जो नियम बनाए हैं, उसमें जल, जंगल और जमीन का अधिकार आपको दिया जा रहा है। हर साल गांव की जमीन, उसका नक्शा, वनक्षेत्र का नक्शा, खसरे की नकल, पटवारी को या बीट गार्ड को गांव में लाकर ग्रामसभा को दिखानी होगी। ताकि जमीनों में हेर-फेर न हो। नामों में गलती है तो यह ग्रामसभा को उसे ठीक कराने का अधिकार होगा।

किसी भी प्रोजेक्ट, बांध या किसी काम के लिए हमारे गांव की जमीन ली जाती है, लेकिन अब ग्राम सभा की अनुमति के बिना ऐसा नहीं हो सकेगा। पेसा कानून के जरिये ग्राम सभाओं को और अधिक अधिकार मिले हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि गांव में कुछ एजेंट आते हैं। काम के लिए ले जाने की बात करते हैं। बाद में हमारे बेटे-बेटियां दिक्कत में फंस जाती हैं। पेसा के नियम आपको अधिकार दे रहे हैं कि हमारे गांव से कोई बेटा-बेटी जाएगा तो पहले ग्राम सभा को बताना होगा। ले जाने वाला कौन है, कहां ले जा रह है, यह भी बताना होगा।

नई शराब दुकान की अनुमति के लिए ग्रामसभा के पास जाना होगा। 45 दिन तक अनुमति नहीं दी तो माना जाएगा कि अनुमति नहीं दी है। भगवान बिरसा मुंडा ने कहा था कि नशा नाश की जड़ है। हमें इस बुराई से दूर रहने की कोशिश करना चाहिए। कोई शराब की दुकान स्कूल, अस्पताल या गांव के पास है तो उसे हटाने का अधिकार ग्रामसभा को होगा। यदि ग्राम सभा चाहे तो किसी त्यौहार के दिन ड्राई डे घोषित कर सकेगी। सार्वजनिक स्थल पर कोई शराब पियेगा तो ग्रामसभा उस पर प्रतिबंध लगा सकती है।

नशे की लत को हतोत्साहित करने के लिए अनुशंसा भी ग्रामसभा कर सकेगी। छोटे-मोटे विवादों का निपटारा ग्राम सभा में ही हो जाएगा। शांति और विवाद निवारण समिति बनेगी। पुलिस में रिपोर्ट नहीं होगी। हम शांति और प्रेम से रहेंगे। बुजुर्ग विवाद निपटा देंगे। थाने में एफआईआर होगी तो थाने को इसकी सूचना ग्रामसभा को देनी होगी। झूठी एफआईआर नहीं चलेगी।

शिवराज ने कहा कि पेसा कोऑर्डिनेटर बनाए जाएंगे। इस कानून के बारे में जनता को जागरुक करने के लिए यात्राएं निकाली जाएंगी। 20 नवंबर को यात्राएं शुरू होंगी। चार दिसंबर को टंट्या मामा की जयंती पर इंदौर में यह यात्राएं मिलेंगी। वहां फिर बड़ा कार्यक्रम होगा। हमारे बेटे-बेटी डॉक्टर और इंजीनियर बनेंगे। यह किसी के खिलाफ नहीं है। यह कानून शहरों में लागू नहीं होगा। संकल्प करें कि हम सभी को पेसा कानून के नियमों की जानकारी देंगे।

राष्ट्रगान के साथ जनजातीय गौरव दिवस समारोह शुरू हुआ। मध्यप्रदेश की मंत्री मीना सिंह ने स्वागत भाषण से शुरुआत की। इसके बाद सहरिया जनजाति का नृत्य प्रस्तुत किया गया। इसके बाद पेसा कानून की नियमावली को सार्वजनिक कर राष्ट्रपति ने उसके मध्यप्रदेश में लागू होने की घोषणा की। नियमावली को जनजातीय समुदाय को समर्पित किया गया। कार्यक्रम को केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते और अर्जुन मुंडा ने भी संबोधित किया।

मध्यप्रदेश देश का सातवां राज्य है, जहां पेसा अधिनियम लागू किया गया है। इससे पहले छह राज्यों (हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र) ने पेसा कानून बनाए हैं। पेसा एक्ट का संबंध मध्यप्रदेश से ही ज्यादा रहा है। मध्यप्रदेश के झाबुआ से सांसद रहे दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता में बना गई समिति की अनुशंसा पर यह कानून बनाया गया था। 24 दिसंबर 1996 को पेसा कानून देश में लागू हुआ था। इस कानून के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकारों की ओर से नियम बनाए जाने लगे थे।

राज्यपाल मंगु भाई पटेल ने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस के कार्यक्रम में राष्ट्रपति जी के आगमन से हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। मध्यप्रदेश में पहले गौरव दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए थे। दूसरे गौरव दिवस पर राष्ट्रपति की मौजूदगी ने इस दिन को खास बना दिया है। मध्यप्रदेश में पेसा कानून के नियमों का अमल होगा। इसमें सभी लोगों को सहयोग देना होगा। इन नियमों के लागू होने से ग्रामसभ बहुत अधिक शक्तिशाली हो गई है।

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