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चीन की खुराफात शुरू

चीन के साथ एलएसी पर जारी तनाव के बीच आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे लद्दाख सेक्टर के दो दिन की यात्रा पर जा रहे हैं। इस दौरान वह सुरक्षा हालात और ऑपरेशनल तैयारियों की समीक्षा करेंगे।

आर्मी चीफ का यह दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है जब चीन लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर फिर से खुराफात कर रहा है।

पिछले कुछ समय से चीन की हरकतों पर नजर डालें तो उसके नापाक मंसूबों का साफ-साफ पता चलता है। उसकी हरकतें बताती हैं कि वह पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने और सैनिकों को पीछे हटाने के मूड में नहीं है।

पूर्वी लद्दाख समेत एलएसी के करीब तेजी से निर्माण, सैनिकों के लिए मॉड्युलर कंटेनर शेल्टर, आधुनिक हथियारों की तैनाती, एयरबेसों का अपग्रेडेशन, उत्तराखंड में भारतीय क्षेत्र में घुसकर पुल को क्षतिग्रस्त करना, पूर्वी लद्दाख में मौजूदा गतिरोध के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराना… ये चीन की कुछ ऐसी हरकतें हैं जो उसके मंसूबों पर शक पैदा करती हैं।

चीन की फितरत ही धोखे की रही है। कहीं उसकी ये हरकतें किसी बड़ी साजिश का तो इशारा नहीं? उसकी हरकतों और तैयारियों को देखकर लगता है जैसे वह जंग की तैयारी में जुटा है। आइए जानते हैं कि लेह लद्दाख से लेकर उत्तराखंड और सिक्किम तक क्या है एलएसी पर हालात।

हाल ही में उसने 16-17 महीने पुराने गतिरोध के लिए सीधे-सीधे भारत को जिम्मेदार ठहराया है। उसने आरोप लगाया कि तनाव का ‘मूल कारण’ भारत की ‘आगे बढ़ने की नीति’ और चीनी क्षेत्र पर ‘अवैध रूप से’ अतिक्रमण है।

भारत ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। चीन के आरोपों पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा कि तनाव की वजह चीनी सेना की ‘उकसावे वाली’ हरकतें और एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की उसकी ‘एकतरफा’ कोशिश है। भारत ने कहा कि चीन ने पूर्वी लद्दाख में बड़ी तादाद में सैनिकों की तैनाती की है जो उकसाने वाली हरकत है। उन्होंने कहा कि चीन की इन हरकतों के जवाब में भारत को भी सैनिकों की तैनाती करनी पड़ी है।

लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी से सटे चीन ने कई नई एयरस्ट्रिप्स और हेलिपैड बनाए हैं। इसके अलावा उसने होटन, काशगर, गरगुंसा, ल्हासा-गोंगर और शिगेट्से जैसे अपने एयरबेसों को अपग्रेड किया है।

वहां अतिरिक्त लड़ाकू विमानों को तैनात कर रखा है। इसके अलावा उसने 2 मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-400 की भी तैनाती की है। संयोग से भारत को भी इस साल के आखिर तक रूस से 5 S-400 स्क्वॉड्रन मिलने वाली है।

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