रायपुर: भारत में अवैध रूप से गर्भपात करवाना गैर कानूनी है, बावजूद इसके चोरी छिपे झोलाछाप डॉक्टर धड़ल्ले से गर्भपात करवा रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से सामने आया है, जहां गर्भपात करवाने के दौरान युवती की मौत हो गई। मामले में फिलहाल पुलिस ने मृतक युवती के प्रेमी को हिरासत में ले लिया है और पूछताछ कर रही है।
मिली जानकारी के अनुसार मामला मंदिर हसौद थाना क्षेत्र का है, जहां रहने वाले झोलाछाप डॉक्टर तपन दास पिछले तीन दिनों से गर्भवती युवती को अपने घर पर रखकर गर्भपात करवा रहे थे।
बताया गया कि युवती का किसी से प्रेम संबंध था और इसी दौरान संबंध बनाने के चलते वह गर्भवती हो गई थी। लेकिन गर्भपात करवाने के दौरान युवती की मौत हो गई।
युवती की मौत के बाद आक्रोशित परिजनों ने झोलाछाप डॉक्टर तपन दास पर शराब पीकर गर्भपात करवाने का आरेप लगाया है। फिलहाल पुलिस ने मृतक युवती के प्रेमी को हिरासत में ले लिया है और पूछताछ कर रही है।
गर्भपात को लेकर क्या कानून है?
1971 का मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 गर्भवती महिला को 20 हफ्ते तक गर्भपात कराने की इजाजत देता है। 2021 में हुए बदलाव के बाद ये सीमा कुछ विशेष परिस्थितियों में 24 हफ्ते कर दी गई। हालांकि, ऐसा बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं किया जा सकता है। अगर गर्भ 24 हफ्ते से ज्यादा का है तो पहले एबॉर्शन की अनुमति नहीं थी, पर नए कानून के तहत मेडिकल बोर्ड की रजामंदी पर ऐसा किया जा सकता। इसके लिए तीन श्रेणियां बनाई गईं।
1 गर्भावस्था के 0 से 20 हफ्ते तक: अगर कोई भी गर्भवती महिला गर्भपात करना चाहती है तो वह एक रजिस्टर्ड डॉक्टर की सलाह से ऐसा कर सकती है। भले वो महिला विवाहित हो या अविवाहित।
2. गर्भावस्था के 20 से 24 हफ्ते तक: अगर गर्भवती महिला के जीवन को खतरा हो या उसके शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को गहरा आघात लगने का डर हो, या जन्म लेने वाले बच्चे को गंभीर शारीरिक या मानसिक विकलांगता का डर हो, तब वह महिला दो डॉक्टरों की सलाह पर गर्भपात करा सकेगी। इस श्रेणी में यह परिस्थितियां महत्वपूर्ण होंगी-
a. अगर अनचाहा गर्भ ठहरा हो। महिला या उसके पार्टनर ने गर्भावस्था से बचने के लिए जिन उपायों को आजमाया हो, वह फेल हो जाए।
b. अगर महिला आरोप लगाए कि दुष्कर्म की वजह से गर्भ ठहरा है। इस तरह की प्रेगनेंसी उस महिला के लिए मानसिक रूप से अच्छी नहीं होगी।
c. जहां भ्रूण में विकृति हो और इसका पता 24 हफ्ते बाद चले तो मेडिकल बोर्ड की सलाह के बाद गर्भपात किया जा सकेगा।
3. गर्भावस्था के 24 हफ्ते बाद: अगर भूर्ण अत्यधिक विकृत हो तो मेडिकल बोर्ड की सलाह पर 24 हफ्ते के बाद भी गर्भपात कराया जा सकता है। अगर गर्भवती महिला का जीवन बचाने के लिए ऐसा करना जरूरी हो तो भी कभी भी गर्भपात कराया जा सकता है।