भिलाई। चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल अस्पताल की नीलामी का मामला प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया है। पूरे मामले में भिलाई निगम प्रशासन की भूमिका को लेकर जवाब मांगा गया है। आयुक्त ने दुर्ग कलेक्टर (शिकायत शाखा) को लिखित जवाब प्रस्तुत किया है। जिसमें कहा गया है कि चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल को ऋण दिए जाने या ऋण की वसूली को लेकर भिलाई निगम ने न कभी सहमति दी न एनओसी जारी किया।
बता दें कि स्व. चंदूलाल चंद्राकर के नाती अमित चंद्राकर ने इंडियन बैंक द्वारा चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल की संपत्ति नीलम किए जाने को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय नईदिल्ली को पत्र लिखा था। जिसका जवाब देते हुए भिलाई निगम आयुक्त ऋतुराज रघुवंशी ने कहा है कि भिलाई निगम द्वारा जनसुविधा के लिहाज से रियायतीदर पर चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल को पट्टा आवंटित किया गया था।
चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल के प्रबंधकों द्वारा मूल ऋण को अंतरित कर इंडियन बैंक से ऋण लिया गया था। यहां तक की भिलाई निगम से प्राप्त पट्टे को निगम की बिना अनुमति के बंथक रख दिया गया था। ऋण अदा करने में अस्पताल प्रबंधन विफल रहा। परिणाम स्वरुप इंडियन बैंक ने अस्पताल प्रबंधन पर कार्रवाई की।
कार्रवाई में भिलाई निगम को न तो पक्षकार बनाया गया और न ही कोई जानकारी दी गई। इंडियन बैंक द्वारा अस्पताल की संपत्ति का भौतिक आधिपत्य प्राप्त करने संपत्ति नीलाम करने की कार्रवाई की गई है।
निगम आयुक्त ने कहा कि महत्वपूर्ण विषय यह है कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा बंधक रखी गई संपत्ति भिलाई निगम की संपत्ति है,ऋण की प्रतिभूति के लिए इंडियन बैंक को सहमति या अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया है।
भिलाई निगम आयुक्त ने अंतिम पैराग्राफ में कहा है कि भिलाई निगम को यदि पूर्व में जानकारी प्राप्त हो जाती तो सरकेशी एक्ट की कार्यवाही में आपत्ति प्रस्तुत कर निगम अपना पक्ष रख सकता था। इंडियन बैंक की कार्यवाही जांच का विषय है।