उत्तर प्रदेश: जिले में 16 साल पहले हुए एक फर्जी एनकाउंटर मामले में गाजियाबाद स्थित सीबीआई कोर्ट ने नौ पुलिसवालों को दोषी करार दिया है। इनमें से पांच को कोर्ट ने आजीवन कारावास तो चार पुलिसवालों को 5-5 साल के कारावास की सजा सुनाई है। पुलिस ने एक फर्नीचर कारीगर को पहले लुटेरा बनाया फिर उसका एनकाउंटर कर दिया था।.
मामला वर्ष 2009 का है। एटा जिले में सिपाही राजेंद्र ने फर्नीचर कारीगर राजाराम से अपने घर की रसोई में लकड़ी का काम कराया था। आरोप है कि राजाराम ने अपनी मजदूरी के पैसे मांगे, लेकिन सिपाही राजेंद्र ने पैसे देने से इनकार कर दिया। दोनों में इस बात को लेकर बहस हुई, तो सिपाही ने राजाराम की हत्या की योजना बनाई।
बताया गया है कि एटा के सिढ़पुरा थाने में फर्नीचर कारीगर के खिलाफ पहले लूट का मुकदमा दर्ज कराया गया। इसके बाद फर्जी मुठभेड़ में उसकी हत्या कर दी। परिवार वालों के आरोपों के बाद मामले की जांच शुरू हुई। मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई कोर्ट में इसकी सुनवाई हुई।
अब 16 साल बाद कोर्ट ने तत्कालीन थाना प्रभारी पवन सिंह, सब इंस्पेक्टर पाल सिंह ठैनुआ, सरनाम सिंह, राजेंद्र प्रसाद और ड्राइवर मोहकम सिंह को 38-38 हजार रुपये के अर्थदंड के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
कारीगर को बना डाला लुटेरा
इनके अलावा चार अन्य पुलिसवालों बलदेव प्रसाद, अवधेश रावत, अजय कुमार और सुमेर सिंह को साक्ष्य मिटाने और झूठी सूचना देने के आरोप में 11-11 हजार रुपये के अर्थदंड के साथ 5-5 साल की सजा सुनाई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजाराम पर पूर्व में कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं था, लेकिन पुलिस ने उसके खिलाफ लूट का मुकदमा दर्ज किया। राजाराम की पत्नी ने होईकोर्ट में अपील करते हुए बताया कि पुलिस वाले उसके पति को उठा ले गए है।