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जन्माष्टमी पर बन रहा संयोग, मथुरा में उमड़ा भक्तों का हुजूम

जन्माष्टमी हर साल बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 19 अगस्त को उच्च राशि के चंद्रमा में मनाई जाएगी। जन्माष्टमी की पूजा खासकर मथुरा, वृंदावन और द्वारिका में विधि-विधान से की जाती हैं। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म में इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल गोपाल स्वरूप की पूजा की जाती है। हर साल भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म दिवस जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है।

मुख्यमंत्री योगी शुक्रवार को मथुरा आ रहे

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर कन्हैया के दर्शन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को मथुरा आ रहे हैं। वे यहां 3 घंटे 40 मिनट रहेंगे। इस दौरान उनके साथ राज्य के दो मंत्री भी मौजूद रहेंगे। इसमें 30 मिनट का कार्यक्रम श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर दर्शन और पूजा के लिए निर्धारित किया गया है। एसएसपी मथुरा ने कहा कि कृष्ण जन्माष्टमी मनाने के लिए मथुरा तैयार है।

सुरक्षा को देखते हुए पुलिस, पीएसी, अर्धसैनिक बल, आरएएफ, एटीएस कमांडो और सिविल पुलिस सहित पर्याप्त बल तैनात किया गया है। ड्रोन से निगरानी भी की जा रही है। शहर के कोर एरिया को नो व्हीकल/नो पार्किंग एरिया घोषित किया गया है।

श्रद्धालु जन्मभूमि के लिए प्रस्थान करते समय अपने आवश्यक सामान मोबाइल फोन, कैमरा, रिमोट की रिंग, थैला, माचिस, बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू ,चाकू, ब्लेड आदि अन्य कोई भी इलेक्ट्रॉनिक सामान अपने साथ न ले जाएं। इन्हें या तो अपने वाहन में, अपने ठहरने के स्थान पर छोड़ कर आएं अथवा मार्ग में बने सामान घर में जमा कर रसीद/कूपन अवश्य प्राप्त कर लें।

बैरीकेडिंग इस प्रकार से की जा रही है कि श्रद्धालु कम समय में दर्शन प्राप्त कर सकें। जन्माष्टमी के दिन श्रद्धालुओं का प्रवेश गोविंद नगर द्वार (गेट नंबर 3) से होगा एवं निकास मुख्य द्वार (गेट नंबर-1) से होगा। जन्मस्थान के ओएसडी विजय बहादुर सिंह ने बताया कि किसी भी श्रद्धालु को असुविधा या दिक्कत होने पर कृष्णजन्म भूमि के कंट्रोल रूम नंबर 9454402664 पर संपर्क कर सकते हैं।

मथुरा में देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जन्मभूमि पर विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। समस्या न हो इसके लिए श्रृद्धालुओं के सुगम प्रवेश को दृष्टिगत रखते हुए लाउडस्पीकर के माध्यम से निर्देश दिए जाएंगे। इसके साथ ही सभी संपर्क मार्गों पर जूताघर एवं सामान घर की व्यवस्था की गई है। सभी आवश्यक स्थानों पर पेयजल उपलब्ध रहेगा। ‘मथुरा-वृंदावन में उमड़ने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ को लेकर रेलवे और परिवहन निगम ने भी तैयारी कर ली है। रेलवे ने नई दिल्ली इंटरसिटी सहित तीन ट्रेनों का संचलान मथुरा तक किया है, वहीं रोडवेज ने भी अतरिक्त बसों की व्यवस्था की है।

रात में इसकी भव्यता देखते ही बनती है। इसके अलावा प्रेम मंदिर, श्री प्रियाकांत जू मंदिर, हनुमान मंदिर नौझील, वृंदावन का अक्षय पात्र मंदिर और जन्मस्थान के भागवत भवन में विद्धुत सजावट मन मोह रही है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर शहरभर के मंदिरों में विशेष साज-सज्जा हुई। रंग-बिरंगी रोशनी से मंदिर जगमगा उठे। ब्रज में कान्हा के जन्मोत्सव का साक्षी बनने के लिए लाखों कृष्ण भक्त मथुरा आते हैं। कृष्ण भक्तों को इस दिन का खास इंतजार रहता है।

जन्माष्टमी तिथि का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु जी ने धर्म की स्थापना के लिए श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया था। इस दिन व्रत धारण कर श्रीकृष्ण का स्मरण करना अत्यंत फलदाई होता है। शास्त्रों में जन्माष्ठमी के व्रत को व्रतराज कहा गया है। भविष्य पुराण में इस व्रत के सन्दर्भ में उल्लेख है कि जिस घर में यह देवकी-व्रत किया जाता है वहां अकाल मृत्यु,गर्भपात,वैधव्य,दुर्भाग्य तथा कलह नहीं होती। जो एक बार भी इस व्रत को करता है वह संसार के सभी सुखों को भोगकर विष्णुलोक में निवास करता है।

प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके व्रत का संकल्प लें। माता देवकी और भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति या चित्र पालने में स्थापित करें। पूजन में देवकी,वासुदेव,बलदेव,नन्द, यशोदा आदि देवताओं के नाम जपें। रात्रि में 12 बजे के बाद श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं। पंचामृत से अभिषेक कराकर भगवान को नए वस्त्र अर्पित करें एवं लड्डू गोपाल को झूला झुलाएं। पंचामृत में तुलसी डालकर माखन-मिश्री व धनिये की पंजीरी का भोग लगाएं तत्पश्चात आरती करके प्रसाद को भक्तजनों में वितरित करें।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने हाथ से भोजनालय में मौजूद संतों और श्रद्धालुओं को भोजन परोसकर इसकी शुरुआत करेंगे। अन्नपूर्णा भोजनालय के संचालन की जिम्मेदारी मंगलमय न्यास को दी गई है। न्यास के अध्यक्ष संत विजय कौशल महाराज की देखरेख में भोजनालय का संचालन होगा।

 

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