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अशोक स्तंभ की डिजाइन पर मचा बवाल

नए संसद भवन के केंद्रीय कक्ष के ऊपर स्थापित राष्ट्रीय चिह्न की प्रतिकृति पर उठे विवाद के बीच इस विशाल प्रतिकृति का निर्माण करने वाले शिल्पकार सुनील देवरे का कहना है कि इसे अधिकतम अशोक स्तंभ पर अंकित कृति जैसा ही रखा गया है। यह 99 प्रतिशत मूल कृति की तरह ही है। शिल्पकारों का कहना है कि निर्माणाधीन नए संसद भवन के ऊपर लगाई गई प्रतिकृति में बने शेरों को देखने के एंगल के कारण विवाद हो रहा है।

देवरे की इस बात का काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हीरालाल प्रजापति और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के पूर्व उपमहानिदेशक बीआर मणि ने भी समर्थन किया है। दोनों विशेषज्ञों ने कहा है कि जब आप किसी चीज को नीचे से देखते हैं तो एंगल के कारण कुछ बदलाव दिखते हैं। हालांकि, मूल कृति की तुलना में कोई बड़ा बदलाव होता नहीं है।

गौरतलब है कि सोमवार को पीएम नरेन्द्र मोदी ने इस प्रतिकृति का लोकार्पण किया था। कई विपक्षी नेताओं ने अशोक की लाट के शांत और सौम्य शेरों की तुलना में इस प्रतिकृति का स्वरूप आक्रामक करने के आरोप लगाए हैं। कई ने इसे सियासी रंग देते हुए हटाने की मांग की है तो कुछ ने कानूनी कार्रवाई को कहा है।इस परियोजना के प्रभारी सुनील देवरे ने कहा कि प्रतिकृति का आकार बड़ा होने के कारण इससे जुड़ी सूक्ष्म चीजें भी लोगों का ध्यान केंद्रित कर रही हैं। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि मूल कृति में कुछ क्षति होने के कारण छोटे बदलाव हो सकते हैं, लेकिन हमने प्रतिकृति को अधिकतम मूल कृति के जैसा ही तैयार किया है। शेरों की मुद्रा को लेकर उठे विवाद के बीच देवरे ने साफ किया कि जो फोटोग्राफ इंटरनेट मीडिया पर वायरल है, वह जूम से बाहर है। फोटो नीचे से खींचने के एंगिल के कारण शेरों की मुद्रा में बदलाव दिख रहा है। प्रतिकृति तैयार करने से पहले हमने संग्रहालय जाकर इस पर शोध किया। हमने केवल ढाई फीट की मूल कृति के आकार को बड़ा किया है। जब आप ऐसा करते हैं तो मूल कृति के सभी डिटेल विशालता के कारण साफ दिखते हैं।

शेर हैं सिरमौर

देश के राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न् अशोक स्तंभ की नए संसद भवन पर बनी प्रतिकृति को लेकर विवाद छिड़ गया है। ऐसे में अशोक स्तंभ के महत्व को गहराई से समझने की जरूरत है।

अशोक स्तंभ के शेर

  • अशोक स्तंभ के जरिये सम्राट अशोक ने भगवान बुद्ध के शांति के संदेश दुनिया में फैलाया था। सारनाथ और सांची के अशोक स्तंभों के ऊपरी हिस्से में चार एशियाई मूल के शेर दिखाई देते हैं।
  •  यह शेर शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और गौरव को दर्शाते हैं। इसके नीचे एक घोड़ा और एक बैल है। इसके बीच में धर्मचक्र है। चक्र के पूर्वी भाग में एक हाथी, पश्चिमी भाग में एक बैल, दक्षिणी भाग में घोड़े और उत्तरी भाग में शेर हैं। यह मध्य में बने पहियों से अलग होते हैं।

प्राचीन धरोहर है राष्ट्रीय चिह्न

  • सम्राट अशोक ने अशोक स्तंभ का निर्माण देश के कई हिस्सों में कराया था। स्वतंत्र भारत के प्रतीक चिह्न के रूप में इस ऐतिहासिक स्तंभ को अपनाया गया।
  •  वाराणसी के सारनाथ संग्रहालय में रखी गई अशोक की लाट को 26 अगस्त, 1950 को अपनाया गया। यह प्रतीक भारतीय मुद्रा से लेकर पासपोर्ट और सरकारी लेटर हेड तक पर देखा जा सकता है।
  •  अशोक स्तंभ के नीचे स्थित अशोक चक्र को भारतीय ध्वज के मध्य भाग में स्थापित किया गया है। यह प्रतीक चिह्न् देश में सम्राट अशोक के युद्धकौशल और शांति की नीति को प्रदर्शित करता है।
  •  सम्राट अशोक मौर्य वंश के सबसे शक्तिशाली सम्राट माने जाते हैं। 304 ईसा पूर्व में उनका जन्म हुआ था। 232 ईसा पूर्व तक उनका साम्राज्य उत्तर में हिंदूकुश, तक्षशिला से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी, सुवर्णगिरी पहाड़ी, मैसूर तक फैला था।

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