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धर्म परिवर्तन करने वाले 48 आदिवासी परिवार के 140 लोगो को गांव से किया बेदखल

बीजापुर।जिले के तोयनार थाना क्षेत्र में मतांतरण मामले ने तुल पकड़ लिया था। मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार को मोरमेड पंचायत के आश्रित ग्राम चिंतनपल्ली के 48 परिवारों को धर्म परिवर्तन को लेकर गांव छोड़ना पड़ा। ग्राम चिंतनपल्ली के इसाई धर्म मानने वालों को गांव छोड़ने का फरमान सुनाने पर, इन परिवारों को तोयनार में आकर शरण लेनी पड़ी। जानकारी अनुसार गांव के मुखिया लोगों के दबाव से इन परिवारों को गांव से बेदखल होना पड़ा। ग्रामीण युवक धरमा लखमू का कहना है कि चिंतनपल्ली के 40 आदिवासी परिवार इसाई धर्म को 10 वर्षों से मानते आ रहे है। गांव में किसी प्रकार की अनहोनी न हो इसलिए ये ग्रामीण परिवार खेती-बाड़ी छोड़कर निकल पड़े। मतांतरण करने वाले पुरुष व महिलाएं काफी डरे सहमे हुए है।

ईसाई मानने वाले ग्रामीणों के साथ युवती संगीता मुड़मा ने बताया कि यदि हम दोबारा गांव जाएंगे तो हमें मार दिया जाएगा। आपको बता दें कि चिंतनपल्ली से 48 परिवार 140 लोग 6 ट्रेक्टरों में अपना सामान लादकर तोयनार पहुंचे थे। जिन्हें प्रशासनिक अमला ने समझाईश देकर वापस गांव भेजा गया। ग्राम चिंतनपल्ली से 48 परिवार के 140 लोगों ने गांव से निकल कर तोयनार हायर सेकेण्डरी स्कूल में शरण लिए। तोयनार हायर सेकेण्डरी स्कूल में एसडीएम पवन कुमार प्रेमी, एएसपी चंद्रकांत गवर्ना, एसडीओ पी आशीष कुंजाम, तहसीलदार डीआर ध्रुव, पटवारी तथा सरंपच मौके पर पहुंचे। दोनों पक्षों को समझाने का प्रयास किया गया। ग्राम तोयनार में बात नहीं बनता देख मोरमेड़ पहुंच कर ग्राम सभा में मामला शांत कराने का प्रयास किया गया, लेकिन चिंतनपल्ली गांव से बहुत कम लोग मोरमेड़ ग्राम सभा में आए थे। इसे देखते हुए एसडीएम, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, तहसीलदार मोरमेड़ ग्राम से चिंतनपल्ली तक 3 किमी पैदल यात्रा पानी से भरा नाला, कीचड़ से लथपथ सड़क से सफर तय कर पहुंचे।

किसीप्रकार की अनहोनी या घटना न हो इसलिए ग्राम चिंतनपल्ली को पुलिस द्वारा पूरी छावनी में तब्दील किया गया। बीजापुर एसडीएम पवन कुमार प्रेमी ने सभी ग्रामीणों को इमली के पेड़ों के नीचे बैठाकर दोनों पक्षों से पूछताछ कर पूरी जानकारी प्राप्त किया। इसके बाद ग्रामीणों को समझाया कि एक गांव में रहकर आपसी सहमति से ही आगे बढ़ा जा सकेगा। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में कांग्रेस सरकार आदिवासियों की संस्कृति को ध्यान में रखकर देवगुड़ी का निर्माण गांव गांव में किया है। अपनी आदिवासीयों को अपनी संस्कृति को बचाए रखना होगा। ग्रामीणों ने बताया कि ईसाई मानने वाले ग्राम की देवी देवताओं का प्रसाद तक नहीं खाते।

कुछ ग्रामीणों ने बताया कि आदिवासी संस्कृति को भूलाकर बाहरी संस्कृति का प्रचलन गांव में नहीं होने देंगे।चितंनपल्ली के ग्रामीणों ने यह भी कहा कि 5 परिवार ने बिना विरोध किए मूल धर्म में वापसी की है। अपनी आदिवासी संस्कृति अपनाने पर राजी हो गए। एसडीएम ने किसी तरह दोनों पक्षों को समझाईश देकर एक दूसरे से हाथ मिलाकर, भाईचारा रहने व गांव में सभी को एक दूसरे का सम्मान करने के लिए कहा। तोयनार गये सभी ग्रामीणों को वापस गांव आने के लिए कहा। प्रशासन द्वारा तोयनार हाई स्कूल में शरण लिये सभी ग्रामीणों को ट्रैक्टर में लदे सामान सहित वापस चिंतनपल्ली भिजवाया। पुलिस ने समाइश दी की दोबारा मतांतरण मामले पर ग्रामीणों को गांव से बेदखल न किया जाये। वर्ना जिला प्रशासन सख्ती से कार्रवाई करने से गुरेज नहीं करेगी।

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