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किडनी की बीमारी के ये हैं बेहद आम पांच लक्षण, डायबिटीज के मरीज अक्सर इन्हें कर देते हैं इग्नोर

डायबिटीज न केवल ब्लड शुगर को प्रभावित करती है, बल्कि शरीर के कई अंगों खासकर किडनी को भी नुकसान पहुंचाती है. कई रिसर्च में सामने आया है कि डायबिटीज के मरीजों में किडनी रोग (डायबिटिक नेफ्रोपैथी) का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में 30-40% ज्यादा होता है. चिंताजनक बात यह है कि किडनी रोग के शुरुआती लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि डायबिटीज के मरीज इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं. आइए इनके बारे में जानते हैं.

लगातार थकान और कमजोरी

 

डायबिटीज के मरीजों में किडनी रोग का एक प्रमुख लक्षण है लगातार थकान और कमजोरी. जब किडनी ठीक से काम नहीं करती तो शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करने की उनकी क्षमता कम हो जाती है, जिसके कारण ब्लड में यूरिया जैसे विषाक्त पदार्थ जमा होने लगते हैं. यह थकान और कमजोरी का कारण बनता है. रिसर्च में पाया गया कि 60% से अधिक डायबिटीज मरीज जो किडनी रोग के शुरुआती चरण में हैं, इस लक्षण को सामान्य तनाव या थकान समझकर नजरअंदाज कर देते हैं.

पैरों और एड़ियों में सूजन

किडनी रोग के कारण शरीर में एक्स्ट्रा फ्लूड जमा होने लगता है, जिससे पैरों, एड़ियों, और कभी-कभी चेहरे पर सूजन (एडिमा) दिखाई देती है. डायबिटीज के मरीजों में यह लक्षण तब होता है, जब किडनी प्रोटीन (एल्ब्यूमिन) को रक्त में बनाए रखने में नाकाम होती है, जिसके कारण प्रोटीन मूत्र में रिसने लगता है. रिसर्च के अनुसार, यह लक्षण मध्यम से गंभीर किडनी रोग (स्टेज 3 या 4) में आम है, लेकिन इसे अक्सर गलतफहमी में सामान्य सूजन समझ लिया जाता है.

पेशाब में बदलाव

झागदार पेशाब (प्रोटीन की अधिकता के कारण), बार-बार पेशाब आना (खासकर रात में) या पेशाब का रंग गाढ़ा होना किडनी रोग का स्पष्ट सिग्नल हो सकता है. रिसर्च में पाया गया कि डायबिटीज के मरीजों में माइक्रोएल्ब्यूमिनुरिया (मूत्र में थोड़ी मात्रा में प्रोटीन) किडनी रोग का सबसे शुरुआती लक्षण है, जिसे केवल टेस्ट के माध्यम से ही पकड़ा जा सकता है. दुर्भाग्यवश, डायबिटीज के मरीज इस लक्षण को सामान्य समझकर टेस्ट कराने से बचते हैं.

हाई ब्लडप्रेशर

हाई ब्लडप्रेशर (हाइपरटेंशन) डायबिटीज और किडनी रोग दोनों का एक प्रमुख कारण है. डायबिटीज के कारण किडनी की छोटी रक्त वाहिकाएं डैमेज हो जाती हैं, जिससे ब्लडप्रेशर बढ़ता है. रिसर्च के अनुसार, हाई ब्लडप्रेशर किडनी रोग का कारण और रिजल्ट दोनों हो सकता है. डायबिटीज के मरीजों में हाई ब्लडप्रेशर को अक्सर नॉर्मल माना जाता है, जबकि यह किडनी की सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है.

भूख में कमी और जी मिचलाना

किडनी रोग के कारण रक्त में अपशिष्ट पदार्थों का स्तर बढ़ने से भूख में कमी, जी मिचलाना और कभी-कभी उल्टी की समस्या हो सकती है. यह लक्षण तब दिखाई देता है, जब किडनी रोग एडवांस्ड स्टेज में पहुंच जाता है. रिसर्च में पाया गया कि डायबिटीज के मरीजों में ये लक्षण प्रारंभिक चरणों में हल्के हो सकते हैं, जिसके कारण इन्हें पाचन संबंधी समस्याओं से जोड़कर नजरअंदाज कर दिया जाता है.

डायबिटीज और किडनी रोग का संबंध

डायबिटीज किडनी रोग का प्रमुख कारण है और यह ग्लोबल लेवल पर अंतिम चरण के किडनी रोग (ESRD) के लगभग 44% मामलों के लिए जिम्मेदार है. डायबिटीज के कारण ब्लड में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है, जो किडनी की छोटी रक्त वाहिकाओं (ग्लोमेरुली) को नुकसान पहुंचाता है. ये खून की धमनियां ब्लड को फिल्टर करने का काम करती हैं और जब ये डैमेज हो जाती हैं तो किडनी अपशिष्ट पदार्थों को हटाने में असमर्थ हो जाती है. इसकी वजह से प्रोटीन पेशाब में रिसने लगता है, जिसे माइक्रोएल्ब्यूमिनुरिया कहा जाता है.

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