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माओवादियों का अंतिम अभेद्य किला भी ध्वस्त, सुरक्षा बलों ने कुर्रगुटालु पहाड़ पर जमाया कब्जा

बीजापुर (छत्तीसगढ़)। भारतीय सेनाओं की ओर से पाकिस्तान के भीतर आतंकियों के सुरक्षित ठिकानों को ध्वस्त करने के बीच सुरक्षा बलों ने आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती बने माओवादियों का अंतिम अभेद्य किला भी ध्वस्त कर दिया है। 

सुरक्षा बलों के इस अभियान को ऐतिहासिक बताते हुए केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि 31 मार्च 2026 तक भारत का माओवाद से मुक्त होना तय है। 

कुर्रगुटालु पहाड़ी पर माओवादी हेडक्वार्टर ध्वस्त

छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर स्थित 60 किलोमीटर लंबी और पांच से 20 किलोमीटर तक चौड़ी कुर्रगुटालु पहाड़ी पर माओवादी हेडक्वार्टर को ध्वस्त करने के बाद सुरक्षा बलों ने उसे अपने कब्जे में ले लिया है। इसके पहले सुरक्षा बल बिहार स्थित चक्रबंधा पहाड़ और झारखंड स्थित बूढ़ा पहाड़ जैसे माओवादियों के अभेद किले को ध्वस्त कर चुके हैं। 

कुर्रगुटालु पहाड़ी पर बनती थी सभी योजनाएं

कुर्रगुटालु पहाड़ी पर सुरक्षा बलों के कब्जे के बाद माओवादियों के लिए कोई भी सुरक्षित पनाहगाह नहीं बची है। अमित शाह के अनुसार यहां माओवादियों की पीपुल्स गुरिल्ला आर्मी बटालियन एक के साथ-साथ दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी, तेलंगाना स्टेट कमेटी और सेंट्रल रिआर्गेनाइजिंग कमेटी का यूनिफाइड हेडक्वार्टर था।

 

यहां माओवादियों ने बीजीएल, आइईडी और अन्य हथियार बनाने के चार कारखाने लगा रखे थे। लेथ मशीन से लेकर अन्य बड़े और भारी उपकरण भी लगाए हुए थे। बिजली के लिए जनरेटर सेट भी लगा हुआ था।

सुरक्षा बलों पर अधिकांश हमले यहां से बने हथियारों से ही होते थे। यहां लगभग 400 माओवादियों के ठहरने और ट्रेनिंग की व्यवस्था थी। इनके लिए दो साल के खाने के लिए अनाज का स्टाक भी रखा था। अपने हेडक्वार्टर को अभेद्य बनाने के लिए नक्सलियों ने पहाड़ के चारों ओर बड़ी संख्या में आइईडी लगा रखा था।

 

31 माओवादियों के शव बरामद

अभी तक 450 आइईडी को नाकाम किया जा चुका है और पहाड़ को पूरी तरह से आइईडी मुक्त करने का अभियान चलाया जा रहा है। लगभग तीन हफ्ते तक चले ऑपरेशन के बाद भले ही केवल 31 माओवादियों के शव बरामद हुए हों, लेकिन उसका असर काफी दूरगामी और व्यापक होगा।

 

सीआरपीएफ के महानिदेशक जीपी सिंह के अनुसार आपरेशन के बाद माओवादियों की सबसे मजबूत मानी जाने वाली बटालियन नंबर एक पूरी तरह से छिन्न-भिन्न हो गई है और उसके कैडर छोटी-छोटी टुकडि़यों में भागने को मजबूर हो गए हैं।

 

भागे हुए माओवादियों और उनके नेताओं की तलाश जारी

माओवादियों के बड़े-बड़े नेता भी बचने के लिए अलग-अलग ठिकानों पर पहुंच गए हैं। अब उनके पास नई योजना बनाने के लिए एकजगह इकट्ठा होने की कोई सुरक्षित जगह नहीं बची है। भागे हुए माओवादियों और उनके नेताओं की तलाश जारी है।

 

जीपी सिंह ने साफ किया कि माओवादियों के पास आत्मसमर्पण करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है, ऐसा नहीं करने पर निश्चित रूप से उन्हें मार गिराया जाएगा।

 

ऑपरेशन ब्लैक फारेस्ट में शीर्ष माओवादी नेता मारे गए

छत्तीसगढ़ के डीजीपी एडी सिंह ने कहा कि ऑपरेशन ब्लैक फारेस्ट में शीर्ष माओवादी नेता या तो मारे गए या घायल हैं। मारे गए 31 माओवादियों में से 16 महिलाएं हैं। उन्होंने बताया कि आपरेशन के दौरान 450 आइईडी, लगभग दो टन विस्फोटक, कई राइफलें और गोला-बारूद जब्त किया गया।

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