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हेनरी किसिंजर की वॉर्निंग सच हो रही… पाकिस्‍तानी आर्मी चीफ को अमेरिका के न्योता देने पर एक्सपर्ट ने भारत को दी बड़ी चेतावनी

वॉशिंगटन: पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर को अमेरिका ने अपने आर्मी डे के लिए न्योता दिया है। असीम मुनीर को 14 जून को वॉशिंगटन में अमेरिकी सेना दिवस समारोह में शामिल होंगे है। मुनीर को अमेरिकी सेना दिवस समारोह में बुलाए जाने से भारतीय रणनीतिक समुदाय में चिंता है। इसे वॉशिंगटन की पाक आर्मी से संबंधों की बेहतरी की शुरुआत की तरह देखा जा रहा है, जो भारत के लिए परेशानी का सबब हो सकता है। ये इसलिए भी अहम है क्योंकि हाल ही में भारत और पाकिस्तान एक युद्ध जैसी स्थिति से गुजरे हैं। दोनों देशों के संबंध इस समय निचले स्तर पर हैं। ऐसे समय में अमेरिका के रुख की अहमियत बढ़ जाती है। एक्सपर्ट का कहना है कि अमेरिका के रुख से हेनरी किसिंजर की वो चेतावनी याद आती है, जिसमें कहा गया था कि अमेरिका की ज्यादा करीबी दोस्ती भी अच्छी नहीं है।

भारतशक्ति की रिपोर्ट कहती है कि मुनीर को अमेरिका का निमंत्रण वॉशिंगटन और रावलपिंडी (पाक आर्मी का हेडक्वार्टर) के बीच शीत युद्ध शैली की व्यस्तता को फिर से शुरू करने का संकेत है। जनरल मुनीर की यात्रा अमेरिकी कमांडर जनरल माइकल कुरिला की हालिया टिप्पणियों के बाद हुई है। उन्होंने 11 जून को अपने एक बयान में पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी अभियानों में ‘असाधारण भागीदार’ बताया है।

भारतीय एक्सपर्ट क्यों नाखुश

भारतीय रक्षा विश्लेषकों ने अमेरिकी रुख की आलोचना करते हुए चेतावनी दी है कि यह आतंकवाद का समर्थन करने में पाकिस्तान की लंबे समय से चली आ रही भूमिका को नजरअंदाज करने जैसा है। लेफ्टिनेंट कर्नल मनोज चानन (सेवानिवृत्त) ने अपनी एक टिप्पणी में कहा, ‘अमेरिकी कमांडर का बयान भारत की मूल सुरक्षा चिंताओं को अनदेखा करता है। ओसामा बिन लादेन से लेकर 26/11 के मास्टरमाइंड हाफिज सईद तक को पाकिस्तान पनाह मिलने की बात किसी से छुपी नहीं है। इसके बावजूद पाकिस्तान की आतंक के खिलाफ लड़ाई में तारीफ करना कोई अच्छी समझ को नहीं दर्शाता है।

चानन ने कहा कि अगर वाशिंगटन वास्तव में भारत को एक रणनीतिक भागीदार के रूप में देखता है तो उसे आतंक प्रायोजकों और आतंक पीड़ितों को समान मानना बंद कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को अमेरिका के पाकिस्तान से रिश्ते रखने पर कोई एतराज नहीं रहा है लेकिन आतंक के मुद्दे पर चीजें साफ होनी चाहिए। उन्होंने अमेरिकी विदेश नीति में स्पष्टता और स्थिरता का आग्रह किया है।

अमेरिका की नीति स्पष्ट नहीं

असीम मुनीर को अमेरिकी निमंत्रण ने दक्षिण एशिया में अमेरिका की चयनात्मक स्मृति और लेनदेन संबंधी कूटनीति के बारे में पुरानी आशंकाओं को फिर से जिंदा किया है। पाकिस्तान के बदतर रेकॉर्ड के बावजूद वॉशिंगटन ने क्षेत्रीय स्थिरता के नाम पर पाक सेना सेना को हथियार और फंड दिया है। ये साफतौर पर अमेरिका की कथनी और करनी में विरोधाभास दिखाता है।

एक्सपर्ट का कहना है कि एक तरफ अमेरिका ने चीन को संतुलित करने के लिए भारत को लुभाने की कोशिश की है। वहीं दूसरी ओर उसने पाकिस्तान को भी समर्थन दिया है, जिसे चीन का सबसे करीबी क्षेत्रीय प्रॉक्सी माना जा सकता है। मुनीर को निमंत्रण अमेरिका का पाकिस्तान में चीन की चुनौती का जवाब भी है। चीन के साथ पाकिस्तान की गहरी पैठ को देखते हुए अमेरिका अपनी कोशिश कर रहा है।

अमेरिका की करीबी दोस्ती भी अच्छी नहीं

कर्नल मनोज चानन ने चेतावनी देते हुए कहा कि अमेरिका एक विरोधी नहीं हो सकता है, लेकिन वह स्थायी सहयोगी भी नहीं है। चानन ने अमेरिका के चर्चित विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर के सूत्र को उद्धृत करते हुए कि ‘अमेरिका का दुश्मन होना खतरनाक है, लेकिन उसका दोस्त होना घातक है।’ उन्होंने कहा कि आज किसिंजर की चेतावनी सच होती दिख रही है। चानन ने भारत को फ्रांस, इजरायल, जापान और दक्षिण कोरिया के साथ साझेदारी में विविधता लाने की सलाह दी है।

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