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पेशाब में बनता है झाग, धार हो गई कम? खराब पड़ी किडनी को दोबारा चला देगा आयुर्वेद का नुस्खा

भारत में लाखों लोग खराब किडनी से परेशान हैं। गुर्दे खून से गंदगी निकालते हैं, अगर यह काम करना बंद कर दे तो शरीर के अंदर जहरीले टॉक्सिन और अतिरिक्त पानी भरने लगता है। जिसके लिए फिर डायलिसिस करवानी पड़ती है। लेकिन क्रोनिक रीनल फेलियर से बचने का नेचुरल तरीका भी है।

​क्रोनिक रीनल फेलियर के लक्षण? इस स्थिति में किडनी का कामकाज ठप होने लगता है। पेशाब की धार कम होना, खून ढंग से नहीं छनना, खून में यूरिया का बढ़ना, खून में क्रिएटिनिन का बढ़ना और पेशाब में प्रोटीन का बढ़ना इस बीमारी के गंभीर लक्षण हैं। जब यूरिन के अंदर प्रोटीन बढ़ता है तो पेशाब में झाग बनने लगते हैं।

क्रोनिक रीनल फेलियर धीरे-धीरे होता है और इसके ठीक करने के लिए आपको डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट करवाना पड़ सकता है। जो कि काफी महंगी और जटिल प्रक्रिया है। लेकिन एनसीबीआई पर मौजूद 2011 के शोध में किडनी के मरीजों को 4 आयुर्वेदिक उपाय से ठीक होते देखा गया है।

100 लोगों को मिला फायदा

इस शोध में खराब किडनी से जूझ रहे 100 लोगों को शामिल किया गया, जिनका जीएफआर 30ml/min से कम था। मगर ये लोग डायलिसिस नहीं करवा रहे थे। इन लोगों की किडनी डायबिटीज की जगह दूसरे कारणों से खराब हुई थी। जिसमें हाई ब्लड प्रेशर, क्रोनिक नेफ्राइटिस, पॉलिसिस्टिक किडनी डिजीज, ऑब्सट्रक्टिव नेफ्रोपैथी शामिल था।

पेशाब में झाग हुए बंद

4 आयुर्वेदिक उपाय करने से इन लोगों के सारे लक्षणों में 50 प्रतिशत तक फायदा मिला। खून में क्रिएटिनिन और यूरिया का स्तर कम हुआ। इसके साथ पेशाब में एल्बुमिन (एक तरह का प्रोटीन) भी कम हुआ। इसके अलावा इन मरीजों का हीमोग्लोबिन लेवल और पेशाब में बढ़ोतरी देखी गई। जो कि किडनी खराब होने के सबसे आम लक्षण हैं।

मरीजों को क्या इलाज दिया?

  1. गोक्षुरादि गुग्गुल:गोक्षुर (गोखरू) + गुग्गुल + त्रिफला + त्रिकटु + मुस्ता मिलाकर 1 ग्राम दिन में तीन बार
  2. रसायन चूर्ण:गोक्षुर + आंवला + गुडुची (गिलोय) को बराबर मिलाकर 3 ग्राम दिन में दो बार
  3. वरुणादि क्वाथ:वरुण त्वक + बिल्व मूल + अपामार्ग (चिरचिटा) + चित्रक मूल + अरणी + शिग्रु + बृहती + किराततिक्त (चिरायता) + करंज + शतावरी मिलाकर 10 ग्राम दिन में दो बार
  4. पुनर्नवादि क्वाथ की निरुहा बस्ती रोजाना​

यह गुर्दों का कामकाज बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक औषधि है। इसे मूत्रवर्धक माना जाता है और यूरोलिथियासिस को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। यह किडनी में पत्थरों को बनने से भी रोकती है। इसने इसे किडनी स्टोन का रामबाण उपाय कहा जाता है।

रसायन चूर्ण एक आयुर्वेदिक टॉनिक है। इसमें आंवला, गिलोय और गोक्षुर जैसी तीन ताकतवर जड़ी बूटी होती हैं। यह शरीर की इम्युनिटी को तेजी से बढ़ाते हैं। जिससे शरीर संक्रमण और बीमारी से लड़कर जल्दी ठीक हो जाता है।

इस आयुर्वेदिक औषधि को कई सारी जड़ी बूटी मिलाकर बनाते हैं। यह यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, गुर्दे में पथरी, पेशाब के दौरान दर्द आदि को खत्म करने में मदद करता है।

पुनर्नवादि क्वाथ एक आयुर्वेदिक उपाय है, जो नौ औषधियों से मिलकर बनाया जाता है। यह फेफड़ों के रोग, लिवर-किडनी की बीमारी, त्वचा रोग और गठिया में फायदेमंद होता है। निरुहा बस्ती आयुर्वेद की पंचकर्म चिकित्सा है, जिसमें औषधीय काढ़े को खाली पेट एनीमा के रूप में देते हैं।

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