


नई दिल्ली: पाकिस्तान का नूर खान एयरबेस ऑपरेशन सिंदूर के दौरान काफी चर्चा में रहा था। अब सोशल मीडिया पर पाकिस्तान से जुड़ा एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक पाकिस्तानी पत्रकार नूर खान एयरबेस के बारे में सनसनीखेज दावा कर रहा है। वीडियो में पत्रकार का कहना है कि इस एयरबेस पर एक वक्त अमेरिका का कब्जा था और पाकिस्तानी सेना को भी वहां जाने की इजाजत नहीं थी। वायरल वीडियो में न तो तारीख बताई गई और न ही कोई स्पष्टीकरण है। हालांकि, पूरे वीडियो की जानकारी अभी सामने नहीं आई है। पाकिस्तानी पत्रकार का नाम भी क्लिप में साफ नहीं है। मगर, आज जानते हैं इस एयरबेस का यह नाम कैसे पड़ा और इसका देहरादून और इजरायल कनेक्शन क्या था।



पाकिस्तान के एयरबेस पर अमेरिका का कब्जा
पाकिस्तानी पत्रकार वीडियो क्लिप में पत्रकार बताते हैं कि नूर खान एयरबेस पर अमेरिकी विमान नियमित रूप से उतरते थे और सामान उतारते थे। इतना ही नहीं जब एक पाकिस्तानी सैनिक ने वहां हो रही गतिविधियों के बारे में जानने की कोशिश की, तो अमेरिकी सैनिक ने उस पर बंदूक तान दी। पत्रकार के अनुसार, पाकिस्तान की अपनी सेना को भी इस इलाके में घुसने की इजाजत नहीं थी।
पाकिस्तान का हार्ट एयरबेस है नूर खान, जानिए कैसे
नूर खान एयरबेस पाकिस्तानी वायुसेना का एक प्रमुख बेस है। यह रावलपिंडी पंजाब के पास स्थित है और अतीत में अमेरिका और पाकिस्तान के सामरिक रिश्तों के दौरान इसका इस्तेमाल अमेरिकी सेनाओं ने किया है। इसे पहले चकलाला एयरबेस के नाम से जाना जाता था। इसे RAF चकलाला के नाम से जाना जाता था। इसे पहले PAF स्टेशन चकलाला और PAF बेस चकलाला भी कहा जाता था। यह पाकिस्तान एयर फोर्स का एक बड़ा एयरबेस है। पुराना बेनजीर भुट्टो अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अब इस एयरबेस का हिस्सा है। यहां PAF कॉलेज, चकलाला जैसे शिक्षण संस्थान भी हैं। यह कॉलेज एविएशन कैडेट्स के लिए है।
नूर खान एयर बेस में क्या छिपा है पाकिस्तान का राज
नूर खान एयर बेस फेडरल एयर कमांड का हिस्सा है। इस साल भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय हवाई हमलों से इसे नुकसान हुआ था। यह एयर मोबिलिटी कमांड का मुख्यालय है। यह रसद, VIP परिवहन और रणनीतिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां C-130 हरक्यूलिस और ISR (इंटेलिजेंस, सर्विलांस, रिकॉनिसेन्स) जैसे विमान भी हैं। ISR का मतलब है खुफिया जानकारी जुटाना, निगरानी करना और टोह लेना।
आजादी के बाद यहां अमेरिकी विमानों का बना अड्डा
ब्रिटेन से आजादी के बाद जब यह बेस रॉयल पाकिस्तान एयर फोर्स (RPAF) को मिला, तो यह ट्रांसपोर्ट हब बन गया। PAF के कई ट्रांसपोर्ट विमान यहां से ऑपरेट करते थे। 1979 में यहां No. 15 Squadron PAF और No. 26 Squadron PAF थे। इनके पास नॉर्थ अमेरिकन F-86F सेबर विमान थे। यहां No. 6 Squadron PAF भी था। इनके पास लॉकहीड C-130B/E हरक्यूलिस और लॉकहीड L-100 हरक्यूलिस विमान थे।
2005 से नूर खान में क्या मौजूद है अमेरिकी आर्मी
2005 में पाकिस्तान में भूकंप आया था। तब 300 अमेरिकी सैनिक और अमेरिकी विमान राहत कार्यों के लिए चकलाल आए थे। 2013 में एक अज्ञात सूत्र ने बताया कि अमेरिका ने 2001 से ही चकलाला में अपनी सेना रखी हुई है। वे यहां अफगानिस्तान में युद्ध से संबंधित रसद और अन्य गतिविधियों को संभालते थे। 2009 में PAF का पहला Il-78 हवाई ईंधन भरने वाला टैंकर विमान PAF बेस चकलाला पहुंचा। यहां No. 10 MRTT (मल्टी रोल टैंकर ट्रांसपोर्ट) स्क्वाड्रन बनाया गया। MRTT का मतलब है, ऐसा विमान जो एक साथ कई काम कर सकता है, जैसे ईंधन भरना और सामान ले जाना।